मथुरा। जन सांस्कृतिक मंच और जनवादी लेखक संघ के संयुक्त तत्वावधान में गीतांजलि श्री के बुकर पुस्कार प्राप्त उपन्यास रेत समाधि पर उसके स्त्री पक्ष पर सेमिनार का आयोजन ब्रज कला केंद्र पर किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. सुधा सिंह और आरसीए गर्ल्स महाविद्यालय मथुरा की असिस्टेंट प्रोफेसर मेनिका गुप्ता ने अपने विचार रखे।
रेत समाधि पर स्त्री-पक्ष पर प्रो सुधा सिंह ने कहा कि स्त्री बोलेगी तो कहानी गुम हो जायेगी, स्त्री नहीं बोलेगी तो कहानी बनेगी, इसलिए बात बात में बात की कहानी यह उपन्यास। भाषा के विलक्षण प्रयोग गीतांजलि श्री ने किए हैं, जिसकी चर्चा विभाजन के विषय पर अन्य उपन्यासों के साथ अवश्य की जायेगी। उन्होंने कहा कि रेत समाधि उपन्यास में जबरदस्त रौमानी प्रेमकथा नजर आती है क्योंकि जीवन के अंतिम समय मे उपन्यास की मुख्य किरदार अम्मा अपने पहले पति से मिलने पाकिस्तान चली जाती है, वहीं उसकी लड़की लिव इन रिलेशन में रहती है। उपन्यास काफी बड़ा है, यही कारण है कि लंबे समय तक उपन्यास में उबाऊपन महसूस होता है।
कोलकाता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रहे प्रसिद्ध आलोचक डॉ जगदीश्वर चतुर्वेदी ने कहा कि- इस उपन्यास में ब्रिटिश सरकार की आलोचना नहीं है क्योंकि बुकर पुरस्कार की यह पहली शर्त है। रेत-समाधि में विभाजन की विभीषका है, लेकिन ब्रिटेन की भूमिका पर चर्चा ही नहीं है असल बात यह है कि रेत समाधि माँग पर लिखा गया उपन्यास है। बुकर पुरस्कार की दो प्रमुख शर्त हैं- ब्रटिश भूमिका को छुपाए रखना और ऐंटी रियलिज्म। उन्होंने आगे कहा कि उपन्यास मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण पर लिखा गया है, न कि यथार्थ पर, ये पुरस्कार हिन्दी के लिए नहीं वल्कि अंग्रेज़ी के अनुवाद पर है। एक मोनोलोक है एक है कनफैशन्स।
उनके दिमाग में पाठक नहीं होता। ये मोनोलोक की स्टाइल है। बुकर पुरस्कार की प्राप्ति के लिए ये नीति अपनायी गयी है। श्रद्धाभाव है, जिसमें खुशामद है। इसमें स्वभाविक विचार नहीं हैं यहाँ विचारों को चैंपा गया है जैसे कोई बूरे की मिटाई पर पिस्ता चिपका देता है दिखाने के लिए।प्रोफेसर मेनिका गुप्ता ने उपन्यास के शिल्प, कथानक, भाषा, विभाजन के दर्द, स्त्री की अस्मिता के सवाल, प्रेम की ऊर्जा, रिश्तों के बीच जटिलताओं की उधेड़बुन, उनके मनोवैज्ञानिक एवं स्त्री-पक्ष पर विस्तार से विचार रखे। उन्होंने बताया कि उपन्यास में स्त्री पक्ष सबसे सबल है क्योंकि यह माँ और बेटी के बीच में कहानी की तरह चलता है।
कार्यक्रम में डॉ. आरके चतुर्वेदी, जन सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष मुरारीलाल अग्रवाल, दीपक गोयल, डॉ. सीमा मोरवाल, डॉ अनिल दिनकर, डॉ नीतू गोस्वामी, प्रियंका खंडेलवाल, अनिता अग्रवाल, सुनील आचार्य, विवेक दत्त मथुरिया, उपेंद्रनाथ चतुर्वेदी, अटलराम चतुर्वेदी, अनिल चतुर्वेदी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रीति अग्रवाल ने की तथा आभार व्यक्त जनवादी लेखक संघ के जिलाध्यक्ष टिकेंद्र सिंह शाद ने और संचालन डॉ. धर्मराज ने किया।