- जीएलए के सिविल इंजीनियरिंग विभाग को केन्द्र सरकार से मिली ग्रांट
- देश के सर्वोच्च वैज्ञानिक संस्थान भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के साथ अधुनातन विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में जीएलए के बढ़ते कदम
मथुरा। परमाणु ऊर्जा विभाग की बोर्ड ऑफ रिसर्च इन न्यूक्लियर साइंसेस 1⁄4बीआरएनएस1⁄2 के द्वारा जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के सिविल ंजीनियरिंग विभाग को 32 लाख का शोध अनुदान प्राप्त हुआ है। इस शोध के अंतर्गत जीएलए के अनुसंधानकर्ता यमुना जल प्रदूषण और उसके ग्राउंड वाटर 1⁄4भूमिगत जल स्रोतों1⁄2 पर पड़ने वाले प्रभावों का नए तरीके से अध्ययन करेंगे।
इस रिसर्च में बीएआरसी द्वारा विकसित आइसोटोप हाइडंोलॉजी 1⁄4विशेषज्ञ अर्चना देवधर व आरजू अंसारी1⁄2 तकनीकी का प्रयोग किया जाएगा। जल ही जीवन है, और जल शक्ति मानव सभ्यता का अभिन्न अंग है। अपेक्षा है कि इस शोध अध्ययन के द्वारा यह जान सकेंगे कि यमुना के बहते जल में स्थित प्रदूषित तत्व किस हद तक भूमिगत जल स्रोतों तक पहुंच कर उसे प्रदूषित कर पाएंगे और इस जानकारी के बाद भूमिगत जल स्रोतों के निर्मलीकरण हेतु कारगर युक्तियों को भी खोज निकालेंगे। इस शोध प्रस्ताव को सेंटंल पॉल्यूशन कंटंोल बोर्ड द्वारा व्यवहारिक रूप से बहुत उपयोगी माना गया है। इस अध्ययन के परिणाम से हम यह जान सकेंगे कि यमुना के बहते जल में स्थित प्रदूषण तत्वों का भूमिगत जल स्रोतों पर किस हद तक अस्वास्थ्यकर होगा। इस प्रोजेक्ट पर जीएलए के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. एससी त्रिपाठी, डॉ. कुंवर राघवेन्द्र सिंह एवं डॉ. स्मिता तुंग कार्य करेंगे।
डीन रिसर्च प्रो. कमल षर्मा और डीन रिसोर्स जनरेषन एंड प्लानिंग डॉ. दिवाकर भारद्वाज ने जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रोजेक्ट तहत जीएलए प्रोफेसर यमुना नदी के आसपास स्थिति स्थानीयों से मुखातिब होंगे और उनके नलकूपों से सैंपल बतौर कुछ पानी लेंगे। इसके साथ यमुना से भी कुछ पानी बतौर सैंपल हेतु लेंगे। ऐसे ही करीब 500 से अधिक सैंपल एकत्रित किए जाएंगे, जो कि विष्वविद्यालय की लैब एवं दिल्ली की लैबों में भी जांच हेतु भेजा जायेंगे। प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने हर्श व्यक्त करते हुए बताया कि विष्वविद्यालय के प्रोफेसर कई सरकारी प्रोजेक्टों पर कार्य कर रहे हैं और कर चुके हैं।
विभागाध्यक्ष प्रो. सुधीर गोयल ने बताया कि इस प्रोजेक्ट पर विभागीय छात्रों को कार्य करने का अवसर मिलेगा। जिससे छात्र पढ़ाई के दौरान कुछ नए रिसर्च को गति प्रदान कर सकें। उन्होंने कहा कि विभागीय असिस्टंेट प्रोफेसर रिसर्च डॉ. कुंवर राघवेन्द्र आइआइटी गुवाहाटी से एमटेक और पीएचडी किए हुए हैं। ऐसे कई विशयों पर वह रिसर्च भी कर चुके हैं। विभागीय प्रोफेसरों को ऐसे प्रोजेक्टों कार्य करने का अवसर मिलना विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात तो ही, बल्कि इससे छात्रों को मिल रही बेहतर तकनीकी षिक्षा भी प्रदर्शित होती है। विश्वविद्यालय के सीईओ एवं एनएचआरडीएन मथुरा चैप्टर के प्रेसीडेंट नीरज अग्रवाल और सीएफओ विवेक अग्रवाल की अध्यक्षता में जीएलए उच्च शिक्षा और आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान की दिशा में नित नई ऊंचाइयों पर अपनी कीर्ति पताका लहरा रहा है।