- दाऊजी मंदिर गौशाला के पास दो सांडों की लड़ाई से लोगों में मची अफरा-तफरी
- अलवर जिले के एक दर्जन से अधिक श्रद्धालु घायल, आधा दर्जन से अधिक गंभीर
कोमल पाराशर
बल्देव।/मथुरा। नगर की दाऊजी गौशाला स्थित मुख्य बाजार को जाने वाली सड़क पर दो सांडों की लड़ाई में दाऊजी दर्शन करने आये अलवर जिले के एक दर्जन से अधिक श्रद्धालु घायल हो गए और आधा दर्जन से अधिक गंभीर रूप से घायल हुए बताए गए हैं। सभी घायलों को स्थानीयों ने अमीरपुर स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाया।
श्रावण मास में दाऊजी दर्शन करने के लिए विभिन्न प्रदेशों से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। पुराने बस स्टेण्ड से आधा किलोमीटर दूरी पर स्थित दाऊजी मंदिर है। यहां श्रद्धालु पैदल ही दर्शन करने के लिए जाते हैं। गुरूवार को राजस्थान के अलवर जिले से सुबह एक बस करीब 30 श्रद्धालुओं को लेकर बस स्टेण्ड पहुंची। यहां यह श्रद्धालु दाऊजी दर्शन के लिए जा रहे थे। दाऊजी गौशाला के समीप अचानक से दो सांडों के बीच काफी तेज लड़ाई शुरू हो गई। जिससे आसपास खडे़ स्थानीय लोग और दर्शनों के लिए आये हुए श्रद्धालु इधर उधर भागने लगे। एकदम अफरा तफरी का माहौल पैदा हो गया। इसी बीच राजस्थान के अलवर जिले के ग्राम गुजरवास निवासी भूदल देवी, सुरजो, रेषमा, लक्ष्मी, कविता काफी गंभीर रूप से घायल हो गईं। इसके अलावा एक दर्जन से अधिक श्रद्धालुओं को भी चोट पहुंची है। सभी घायलों को स्थानीयों ने एंबुलेंस बुलाकर अमीरपुर स्थित डोरीलाल सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाया। जहां डॉक्टरों की टीम ने घायलों को उपचार दिया।
वहीं स्थानीय कानू मोदी ने बताया कि सांडों की लड़ाई में श्रद्धालु तो घायल हुए ही हैं, बल्कि आसपास लगी दुकानों में काफी नुकसान पहुंचा है। जिससे कई किलो मिश्री और चिनौरी रास्ते में गिरकर खराब हो गईं। पिन्टू व्यास ने बताया कि दो सांड आपस में लड़ रहे थे। इसी बीच स्थानीयों ने उन्हें वहां से हटाने की कोषिष की तो भागने के दौरान और अधिक उग्र हो गए। इससे श्रद्धालु भी चपेट में आ गए और दुकानों में भी काफी नुकसान हुआ है।
बैज लगी हुई गायें किस गौषाला कीं ?
नगर में जगह-जगह आवारा पशुओं का झुंड देख जा सकता है। रात्रि को तो इन गायों के झुंड का रास्तों में काफी मात्रा में गोबर पड़ा हुआ रहता है। निकलने रास्ते से निकलने वाले स्थानीय और आने वाले श्रद्धालु इस गंदगी से काफी आहत रहते हैं। इनमें अधिकतर पषुओं के कान पर सरकार के आदेशों के बाद लगाए गए गौशाला पहचान हेतु बैज देखे जा सकते हैं। स्थानीयों को बैज में गौशाला का नाम न होने के कारण पहचान नहीं हो पा रही है कि रास्तों में भटक रहीं गाय किस गौशाला की हैं। नगर पंचायत बलदेव का भी इस ओर कोई ध्यान नहीं है।
सुबह 7 से 8 श्रद्धालु अस्पताल आये थे, जिनको सामान्य इलाज तो यहां दे दिया था, लेकिन काफी गभीर चोट होने के कारण उन्हें जिला अस्पताल मथुरा रैफर कर दिया गया था।
डॉ. राहुल सिंह
प्रभारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, अमीरपुर बलदेव।