Sunday, November 24, 2024
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जीएलए परिवार ने जाना कैसे बचायें अपनी और किसी की जिंदगी

  • -अमृत महोत्सव के तहत जीएलए में ईच वन सेव वन पर हुई कार्यशाला

मथुरा। 75वें आजादी के अमृत महोत्सव के तहत जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा ने मथुरा ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के बैनर तले ईच वन सेव वन की थीम बेसिक लाइफ सपोर्ट पर कार्यशाला आयोजित करायी। चिकित्सकों ने जीएलए परिवार के सदस्यों को आकस्मिक स्थिति में अपनी और दूसरों की जिंदगी कैसे बचायें के बारे में कार्डियो प्रेक्टीकल करके पूरी जानकारी दी।

शुक्रवार को जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत बेसिक लाइफ सपोर्ट-ईच वन सेव वन पर दो सत्रों में कार्यशाला आयोजित हुई। जिसमें मथुरा ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के प्रेसीडेंट डॉ. निर्विकल्प अग्रवाल एवं सेक्रेटरी डॉ. प्रवीन गोयल ने कार्डियो अरेस्ट के दौरान हृदय, मस्तिष्क व फेफड़ों सहित शरीर के बाकी हिस्सों में खून पंप नहीं होता है। जिसके उपचार के बिना कोई भी घटना मिनटों में हो सकती है। सीपीआर में मरीज छाती को एक विषेश तरीके से दवाब दिया जाता है। जिससे दोबारा रक्त संचार किया जा सकता है। ऐसे में सीपीआर देने से मरीज के जीवित रहने की संभावना दो या तीन गुना बढ़ जाती है। प्रथम और दूसरे सत्र में छात्र, षिक्षक और अन्य स्टाफ सदस्यों को आकस्मिक होने वाली घटनाओं से बचाव एवं स्वास्थ्य को कैसे ठीक रखें और विटामिन की कमी को पूरा करने के लिए किस चीज जरूरत होगी के बारे में प्रेक्टीकल के माध्यम से पूर्ण जानकारी प्रदान की।


उन्होंने बताया कि प्रति घंटे में भारत देश में रोड़ एक्सीडेंट की वजह से करीब 16 से 20 व्यक्ति अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठते हैं। इसमंे से कुछ ऐसे व्यक्ति होते हैं, जिन्हें समय पर उचित इलाज नहीं मिल पाता है। भले ही घायल व्यक्ति के पास से कोई अपना या अन्य व्यक्ति मार्ग से गुजर रहा हो। वह उसे बचाने के लिए जानकारी के अभाव की वजह से हाथ भी नहीं लगाता। इसलिए आज के समय में प्रत्येक व्यक्ति को स्वास्थ्य के क्षेत्र में सामाजिक जानकारी होना अतिआवष्यक है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि एक व्यक्ति की जान बचाने से अच्छा और पुण्य कार्य कोई नहीं है।


डॉ. निर्विकल्प ने बताया कि आपके सामने किसी भी व्यक्ति के साथ घटना घटित हो जाती है और वह अचेत अवस्था में है तो तत्काल 112 इमरजेंसी नंबर पर कॉल करें। यह कॉल तीन विभाग पुलिस, स्वास्थ्य और अग्निशमन विभाग को पहुंचेगी। यहां जो भी जरूरत होगी उस विभाग के संबंधित व्यक्ति या एंबुलेंस घटना स्थल पर पहुंचेंगे। एंबुलेंस न आने तक अचेत व्यक्ति में कैसे सुधार लाया जा सकता है और उसे किस प्रकार सामान्य इलाज मुहैया कराया जा सकता है के बारे में जानकारी दी। किसी भी घायल व्यक्ति की सहायता करना गुनाह नहीं है। वर्ष 2019 में सरकार ने सुरक्षा कानून में काफी बदलाव इसलिए किए हैं।


डीन एकेडमिक प्रो. अषीश शर्मा ने कार्यशाला के बारे में कहा कि विद्यार्थियों और स्टाफ सदस्य को स्वास्थ्य और सुरक्षा के क्षेत्र में जानकारी के लिए मथुरा ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के पदाधिकारियों द्वारा अच्छी और बेहतर जानकारी प्रेक्टीकल के माध्यम से मुहैया करायी, जो कि आज के समय अतिआवष्यक है। हर व्यक्ति को किसी की घायल व्यक्ति की जान बचाने के लिए आगे आना चाहिए। इसी दौरान ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में दी गई जानकारी काम आती है। कार्यशाला के अंत में प्रतिकुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने मथुरा आर्थोपेडिक एसोसिएषन के पदाधिकारियांे को स्मृति चिन्ह् भेंट किया। इस अवसर पर विद्यार्थियों सहित विभिन्न विभाग के विभागाध्यक्ष और शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।

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