–जीएलए से कृषि में परास्नातक की शिक्षा हासिल करने के बाद छात्रों को मिलेंगे रोजगार के बेहतर अवसर
मथुरा। कृषि स्नातक विद्यार्थी जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा से परास्नातक में एमएससी एग्रीकल्चर में पढ़ाई कर अपने भविष्य को संवार सकते हैं। इसके लिए विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों को उद्यमी और रोजगारपरक बनाने के लिए आधुनिक प्रयोगशालाओं के साथ-साथ वृहद परिक्षेत्र भी छात्रों के लिए उपलब्ध है। इस आधुनिक युग में तकनीकी षिक्षा का ज्ञान बेहद आवष्यक है। यहां तक कि अब कृषि के क्षेत्र में भी तकनीकी शिक्षा की जरूरत आन पड़ी है। ऐसी षिक्षा को हासिल करने और कृशि के क्षेत्र में अपने भविष्य को संवारने वाले छात्रों के लिए आधुनिक प्रयोगषालाओं की ही जरूरत है। ऐसी
प्रयोगशालाएं जीएलए विश्वविद्यालय में कृशि के छात्रों के लिए उपलब्ध हैं।

कृषि संकाय में विभिन्न विशयों सस्य विज्ञान, मृदा विज्ञान, कीट विज्ञान, कृषि प्रसार, अनुवांषिकी व पौध प्रजनन, पौध रोग विज्ञान, बीज विज्ञान, कृषि अर्थशास्त्र, उद्यान विज्ञान आदि के पाठ्यक्रम के अन्तर्गत होने वाले विभिन्न परिक्षणों की सुविधा भी उपलब्ध है। विष्वविद्यालय में ही उपजाऊ जमीन पर फसलें उगाकर उन पर लगने रोगों से मुक्ति के लिए विभिन्न दवाओं के माध्यम से फसलों की बढ़ोत्तरी के उपाय और संसाधनों से अवगत कराया जा रहा है।
विष्वविद्यालय ने कृशि क्षेत्र के विद्यार्थियों को रिसर्च से लेकर रोजगारपरक और उद्यमिता के क्षेत्र में अग्रसर बनाये रखने के लिए इंटरनेशनल सेंटर फॉर बायोसलिन एग्रीकल्चर दुबई, आईपीबी यूनिवर्सिटी इंडोनेषिया, नामिबिया यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट सोसायटी गाजियाबाद, हिंदुस्तान एग्रीकल्चर रिसर्च वेलफेयर सोसायटी आगरा आदि राश्टंीय-अन्तर्राष्टंीय संस्थानों के साथ एमओयू साइन किया जा चुका है। एमओयू के माध्यम से जीएलए के विद्यार्थी इन संस्थानों में जाकर कृशि संबंधित विभिन्न जानकारियां जुटा सकेंगे। इसके अलावा विशय विषेशज्ञों के माध्यम से नए रिसर्च को आयाम देने में अपनी भूमिका निभाएंगे।
एग्रीकल्चर विभाग के डीन प्रो. सुरेन्द्र सिंह सिवाच ने बताया कि कृषि स्नातक छात्रों को जीएलए परास्नातक में कृशि से एमएससी कराने के अवसर प्रदान कर रहा है। इसके लिए विद्यार्थियों का प्रवेष को लेकर अच्छा रूझान देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि भारत विश्व में सबसे तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था है। आर्थिक विकास की दृष्टि से भारत में कृषि-आधारित उद्योगों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। राष्टंीय आय में कई प्रतिशत के योगदान के साथ-साथ कृषि देश की 65 प्रतिशत आबादी को रोजगार व आजीविका भी प्रदान करती है।
कृषि-आधारित उद्योग-धंधों में कपास उद्योग, गुड व खांडसारी, फल व सब्जियों-आधारित, आलू-आधारित कृषि उद्योग, सोयाबीन-आधारित, तिलहन-आधारित, जूट-आधारित व खाद्य संवर्धन-आधारित आदि प्रमुख उद्योग हैं। हाल ही में कृषि-आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए अनेक सरकारी योजनाओं की शुरुआत की गई, जिनमें प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, राष्टंीय ग्रामीण आजीविका मिशन, स्टार्टअप आदि प्रमुख हैं।