Sunday, November 24, 2024
Homeन्यूज़न्यूज़अमृतकाल के बजट में बचत के बजाय खर्च पर जोर

अमृतकाल के बजट में बचत के बजाय खर्च पर जोर

  • बजट को लेकर जन सांस्कृतिक मंच गोष्ठी आयोजित

मथुरा। अमृतकाल के बजट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें बचत की बजाय खर्च पर जोर दिया गया है ताकि रुपये का चलन हो और उससे विकास की रफ़्तार बढ़े, जिसका प्रभाव आम जनता तक आगामी पच्चीस साल में दिखाई पड़ेगा। अमृतकाल यह का बजट देश की आजादी के सौ वर्ष पूरे होने के लक्ष्य को आधार बना कर तैयार किया गया है।

उक्त उद्गार “अमृतकाल का बजट: एक विश्लेषण” विषय पर डैम्पियर नगर स्थित एक होटल में आयोजित विचार गोष्ठी में आर्थिक मामलों के जानकार एडवोकेट गौरव अग्रवाल ने बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किया, उन्होंने बताया कि नौकरशाह जो बजट बना देते हैं, वही लागू कर दिया जाता है। बजट में कृषि, शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा आदि पर अधिक जोर नहीं दिया गया है, जो बजट की व्यवहारिक खामी है। सोचने वाली बात यह भी है कि आम जन बजट के बारे में अधिक नहीं जानता, उसे तो बस उसे मानना होता है। आज देश में वही लोग टैक्स अदा करते है, जिनकी मजबूरी है। इतने समय के बाद भी टैक्स देने वालों में सर्वाधिक संख्या सरकारी कर्मचारियों की ही है।

जन सांस्कृतिक मंच के बैनर तले आयोजित इस गोष्ठी में पूर्व अध्यक्ष डॉ आर के चतुर्वेदी ने जीडीपी तथा जीएसटी पर भी विस्तार से अपनी बात रखी। अन्य वक्ताओं में दीपक गोयल, रवि प्रकाश भारद्वाज, राजकिशोर आदि रहे, जिन्होंने बजट से जुड़ी चुनौतियों और व्यवहार में आने वाली परेशानियों पर प्रकाश डाला।

संबोधन के उपरांत सवाल जवाब के माध्यम से बजट से जुडी जिज्ञासा और शंकाओं पर उपस्थित लोगों ने विस्तृत चर्चा हुई। गोष्ठी में प्रमुख रूप से डॉ. अशोक बंसल, एडवोकेट जगवीर सिंह, अनिल चतुर्वेदी, कवि राहुल गुप्ता, आकाश दुबे, पत्रकार विवेक दत्त मथुरिया, वेद भारद्वाज, मुनीश भार्गव, संजय भटनागर श्रीमती प्रीति अग्रवाल, श्रीमती नम्रता सिंह आदि उपस्थित रहे। गोष्ठी की अध्यक्षता एडवोकेट राकेश भार्गव ने, संचालन मंच के सचिव डॉ. धर्मराज ने और आभार मंच के अध्यक्ष मुरारीलाल अग्रवाल ने व्यक्त किया।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments