मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय का स्कूल आफ फैशन डिजाइनिंग विशेषकर छात्राओं के लिए एक विशेष शिक्षण संस्थान साबित हो रहा है जहां से वे विभिन्न कोर्स कर देश और विदेश में उच्च वेतनमान पर रोजगार हासिल कर रही हैं। इस बार भी(वर्ष 2020-23) सभी विद्यार्थियों का प्लेसमेंट हो चुका है यानी प्लेसमेंट शत-प्रतिशत रहा है। यहां प्रवेश लेने वाले छात्र भी हैं और छात्राएं भी। कुछ छात्र यहां से पाठ्यक्रम पूरा कर अपने रोजगार भी खड़े कर रहे हैं।
स्कूल आफ फैशन डिजाइनिंग की शिक्षिका सुश्री शुभांगी पाटीदार बताती हैं कि राष्ट्रीय स्तर और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैशन उद्योग ने बहुत बड़ी जगह बना ली है। आज हर कोई फैशनेबल दिखना चाहता है। वह सुंदर और डिजाइनर वाली पोशाकें पहनना चाहता है। चाहे उठने, बैठने का ढंग हो या फिर मेकअप कर सुंदर दिखने की चाह हर मौकों के अनुसर ही सजना संवरना चाहता है। महिलाओं में तो सभी जानते हैं सुंदर दिखने की होड़ किस तरह रहती है। इसी चाह ने फैशन उद्योग में कैरियर के लिए नए आयाम खड़े कर दिए हैं। फैशन डिजाइनिंग कोर्स के अंतर्गत स्वयं को और निखारने के लिए प्रसाधनों का प्रयोग सिखाया जाता है। इसी के अंतर्गत ड्रेस डिजाइनिंग, मेकअप डिजाइनिंग, ज्वैलरी डिजाइनिंग आता है। आंतरिक भावों को और खुलकर बताना का एक तरीका पेंटिंग है, यह भी फैशन डिजाइनिंग के अंतर्गत ही आता है।
सुश्री पाटीदार बताती हैं कि संस्कृति स्कूल आफ फैशन डिजाइनिंग में दो प्रकार के कोर्स चलाए जाते हैं। पहला बीए फैशन डिजाइनिंग, जो तीन साल में पूरा होता है। बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद विद्यार्थी इसमें प्रवेश के योग्य हो जाता है। दूसरा कोर्स है डिप्लोमा इन फैशन डिजाइनिंग, यह भी तीन साल का ही कोर्स है लेकिन इसमें विद्यार्थी दसवीं कक्षा पास करने बाद ही प्रवेश ले सकता है। बीए फैशन डिजाइनिंग डिग्री या डिप्लोमा डिग्री हासिल करने के बाद विद्यार्थी टैक्सटाइल डिजाइनर, वेब डिजाइनर, मेकअप आर्टिस्ट, स्टाइलिश ज्वैलरी डिजाइनर, ड्रेस डिजाइनर बन सकता है। इस कोर्स को करने के बाद विद्यार्थी अपना खुदका बुटीक भी खोल सकता है। अपना खुद का फैशन ब्रांड खड़ा सकता है। अपने डिजाइन किए वस्त्रों को विभिन्न प्रकार के डिजिटल प्लेटफार्म पर बेच सकता है। उन्होंने बताया कि हमारे यहां के वर्ष 2020-23 बैच के विद्यार्थियों का शतप्रतिशत प्लेसमेंट हो चुका है। हमारे यहां के विद्यार्थी संगम अपेरल्स, भीलवाड़ा जैसे ब्रांड्स से जुड़ चुके हैं।
उन्होंने कहा कि छात्राओं के लिए यह कोर्स बहुत उपयोगी साबित हो रहा है। लड़कियां युवकों की तुलना में ज्यादा रचनात्मक मानीं जाती हैं। यह कोर्स उनको आर्थिक रूप से भी सशक्त बनाता है, उनके अंदर स्वयं का व्यवसाय खड़ा करने में सहायक बनकर आत्मविश्वास में वृद्धि करता है।
संस्कृति स्कूल आफ फैशन डिजाइनिंग में हुआ शत-प्रतिशत प्लेसमेंट
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