मथुरा। संस्कृति विवि के सभागार में ‘विद्वान आईडी’ के लाभ,दायरे और पंजीकरण के विषय को लेकर एक महत्वपूर्ण सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में विवि के कुलपति ने कहा कि यह पहल अनुसंधानकर्ताओं और वैज्ञानिकों के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन है, जो उनके अनुसंधान कार्यों को संगठित रूप से प्रस्तुत करने और महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता दिलाने में मदद करेगा।
विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ. एम. बी. चेट्टी (कुलपति) ने विद्यान आईडी के महत्व को लेकर इस आईडी के दायरे, लाभ और इसके पंजीकरण की पात्रता के बारे में विस्तार से चर्चा की और विशेषज्ञ तकनीकी मार्गदर्शन किया। आईडी का महत्व समझाते हुए डॉ. चेट्टी ने बताया कि इसमें कई प्रकार की आईडी होती हैं, जैसे कि गूगल स्कॉलर आईडी, ऑर्किड आईडी, स्कोपस आईडी और शोधकर्ता आईडी। इन आईडी को प्राप्त करने और पंजीकृत करने की तकनीकी जानकारी के साथ डॉ. चेट्टी ने इसे संशोधकों और छात्रों के लिए कैसे महत्वपूर्ण बनाया जाय, के बारे में सुझाव दिया। कुलपति ने कहा कि विद्वान आईडी का एक उपयोगी व्यक्तिगत उद्देश्य या संवर्धन प्रोफ़ाइल के रूप में भी उपयोग हो सकता है, जो विशेषज्ञों के अनुसंधान कार्य को सुविधाजनक बनाने में मदद करता है। इसका उपयोग संगठन के लिए सभी प्रकाशनों को शामिल करते हुए ग्रंथ सूची विश्लेषण के लिए भी किया जा सकता है, जिससे विश्वविद्यालय के अनुसंधान क्षेत्र में स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपयोगी डिजिटल डेटाबेस का निर्माण हो सकता है।
डॉ. चेट्टी ने विद्यान आईडी के दायरे को स्पष्ट करते हुए कहा कि इसके माध्यम से वैज्ञानिक जानकारी और अनुसंधान देने वाले सभी लोग पंजीकृत हो सकते हैं, चाहे वे शोधकर्ता हों, शिक्षक हों, या और किसी भी क्षेत्र में काम कर रहे हों। विद्यान आईडी का उपयोग उनके अनुसंधान कार्यों को संगठित रूप से प्रस्तुत करने के लिए किया जा सकता है, जिससे उनके योगदान का महत्वपूर्ण संकेत मिलता है। उन्होंने विद्यान आईडी प्राप्त करने और पंजीकृत करने की प्रक्रिया को सरलता से समझाया और सभी उपस्थित व्यक्तियों को इसका अनुरोध किया कि वे इस अवसर का फायदा उठाएं और अपने अनुसंधान कार्यों को प्रोफेशनली प्रबंधित करने के लिए इस उपकरण का सही तरीके से उपयोग करें। डॉ. चेट्टी ने कहा कि यह उपकरण संगठन के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत हो सकता है जो सभी प्रकाशनों को एक स्थान पर जमा करने और उन्हें विश्लेषण करने में मदद कर सकता है। इसके माध्यम से, संस्थान अपने अनुसंधान क्षेत्र में नई ऊर्जा और नए उत्थानों की ओर बढ़ सकता है।
और डॉ. सरस्वती घोष ने औपचारिक स्वागत का आयोजन किया और विद्यान आईडी के महत्व को विस्तार से बताया। सेमिनार में डॉ. घोष, डॉ. बी. के. वर्मा और रूप किशोर शर्मा ने अनुसंधान और शिक्षा क्षेत्र में नई दिशा देने का संकल्प लिया है। सेमिनार में नवनियुक्त हेड लाइब्रेरियन डा. बीके वर्मा को विद्वान आईडी और अन्य संशोधन स्रोत के लिए संग्रहण स्थल की जिम्मेदारी सौंपी गई।