विजय कुमार गुप्ता
मथुरा। त्रिकाल दर्शी संत देवराहा बाबा द्वारा देह त्याग के बाद उनकी अनमोल धरोहरों के खजाने को अपने कब्जे में करने वाले व्यक्ति की सनसनी खेज जानकारी मिली है।
लोग सोच रहे होंगे कि बाबा की तमाम दुर्लभ और अनमोल धारोहरें बाबा के आश्रम में सुरक्षित होगी किंतु मजेदार बात यह है कि उन अनमोल धरोहरों की एक भी वस्तु बाबा के आश्रम में नहीं है बल्कि उन्हें एक व्यक्ति द्वारा अपने कब्जे में कर लिया था।
ये सभी धरोहरें इतनी ज्यादा अनमोल हैं कि उनकी कीमत लाखों करोड़ों नहीं बल्कि अरबों खरबों तक पहुंच सकती है। हालांकि इनकी कीमत आंकना भी अपराध जैसा है किंतु आज के जमाने में हर वस्तु का मूल्यांकन करने का प्रचलन सा हो गया है।
लोग इन सभी धरोहरों को अपने कब्जे में करने वाले व्यक्ति का नाम जानने को व्यग्र हो उठे होंगे और सोच रहे होंगे कि ऐसा कौन उस्ताद है जो इतने गहरे माल पर हाथ साफ भी कर गया और बाबा के तमाम भक्तों को कानों कान भनक तक नहीं लगी और ना ही बाबा के आश्रम वालों ने कोई रोक-टोक या चूं चपड़ की।
अब मैं बताता हूं कि यह सज्जन कौन हैं? जिन्होंने इतने बड़े खजाने पर हाथ साफ कर लिया। इनका नाम है शैलजा कांत मिश्र। सब लोग चौंक गए होंगे किंतु यह एकदम सच बात है। मुझे यह सब लिखने में कोई हिचक या झिझक नहीं क्योंकि सच्चाई तो सच्चाई होती है और फिर निर्भीक पत्रकारिता का क्या मतलब रहा? भले ही संबंध कितने भी नजदीकी क्यों न हों। मुझे सच कहने में कोई डर नहीं।
अब यह भी बताता हूं कि अनमोल धरोहरों में क्या-क्या इनके पास है। इनके पास बाबा की चरण पादुका, उनकी मृगछाला, जिस पत्थर की पवित्र पटिया पर बैठकर बाबा स्नान किया करते थे, वह तथा जिन सालिग्राम जी की नित्य प्रति बाबा सेवा पूजा करते थे उसे भी ले आए। और तो और बाबा की पूरी मचान की बांस बल्ली लकड़ी आदि सब कुछ बटोर लाऐ।
अब बताइए कि क्या मेरी बात गलत है? अगर कोई यह कहे कि इन सब धरोहरों का मूल्यांकन अरबों खरबों में कैसे हो सकता है? मैं तर्क देकर अभी सिद्ध कर देता हूं। सबसे पहले बाबा के भक्तों में प्रचारित कर दिया जाय कि उनके चरण पादुकाओं की नीलामी की जाएगी। सभी भक्त अमुक दिन अमुक समय पर आ जाएं। सैकड़ो नहीं हजारों भक्त टूट पड़ेंगे तथा लाखों नहीं करोड़ों में बाबा की चरण पादुकाऐं बिक जाएंगी।
इसके बाद मृगछाला भी चरण पादुकाओं से कम नहीं पड़ेगी। जब सालिग्राम जी का नंबर आएगा तो उसे प्राप्त करने के लिए अरब पति खरब पति सेठ अपना सर्वस्व न्योछावर करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
जहां तक मचान की बांस बल्लियों व लकड़ी के तख्तों की बात है वह भी एक-एक टुकड़ा लाखों में हाथों हाथ साफ हो जाएगा। अब बताओ कि मेरा तर्क गलत है या सही? हालांकि बाबा महाराज की दुर्लभ धरोहरों का मूल्य लिखकर में अपराध कर रहा हूं। इसके लिए मैं उनसे क्षमा प्रार्थना करता हूं।
शैलजा कांत जी ने कुछ धरोहरें बाबा द्वारा देह त्याग से पूर्व उन्ही के हाथ से ग्रहण कर ली थीं जैसे सालिग्राम जी मृगछाला व चरण पादुका आदि। बाकी सभी धरोहरें देह त्याग के बाद ले आये। जिस समय बाबा ने देह त्यागी थी उस समय शैलजा कांत जी बाबा के आदेश पर उनकी मचान के नींचे खड़े थे। बाबा ने ब्रह्म मलंद विधि से प्राण त्यागे जिसे आम बोलचाल की भाषा में ब्रह्मांड फाड़ कर प्राण त्यागना कहा जाता है। इस विधि से सिर के मध्य से प्राण निकलते हैं। उस समय सिर के बीचों-बीच छोटा सा छिद्र हो जाता है और प्राण पखेरू उड़ जाते हैं। सतयुग में तो ऐसी घटनाएं होती रहती थीं किंतु कलयुग में देखने सुनने को भी नहीं मिलती।
शैलजा कांत जी नित्यप्रति देवराहा बाबा द्वारा दिए गए सालिग्राम जी की सेवा पूजा करते हैं तथा अन्य सभी धरोहरों को सहेज कर रखा हुआ है। मचान की सभी बांस बल्ली व लकड़ी आदि को उन्होंने आजमगढ़ स्थित अपने पैतृक स्थान के घर में बने मंदिर के प्रांगण में रखवा दिया।
आमतौर पर देखा जाता है कि किसी आश्रम के मठाधीश के देह त्यागते ही उनके शिष्य जमीन और धन संपत्ति पर टूटते और लड़ते झगड़ते रहते हैं। किंतु शैलजा कांत जी बड़े चतुर हैं उन्होंने ऐसी अनमोल धरोहर प्राप्त करने में रूचि रखी जिन्हें लोग बेकार की समझते हैं किंतु होती वे बड़ी अनमोल हैं। हर कोई उनकी महत्ता नहीं समझ पाता।
देवराहा बाबा शैलजा कांत जी से अक्सर कहा करते थे कि बच्चा शैलेश यह सब आश्रम तुम्हारा ही है। लेकिन शैलजा कांत जी ने बाबा द्वारा त्याग के बाद धन, दौलत, जमीन, वैभव आदि से दूरी बनाऐ रखी। उन्हें तो बाबा की कृपा, आशीर्वाद और बाबा द्वारा दी गई धरोहरों में ही अलौकिक आनंद की अनुभूति हुई। इनके पास बाबा के चरणों की रज भी है जिसे शायद वे नित्य प्रति अपने मस्तक पर जरूर लगते होंगे।
जब भी कभी वे मथुरा से बाहर जाते हैं तब और जब वापस लौटते हैं तब बाबा के आश्रम में जाकर उनके स्थान पर माथा टेकना नहीं भूलते। बाबा के आशीर्वाद से ही वे ब्रज की सेवा में लगे हुए हैं। उस समय जब शैलजा कांत जी मथुरा के पुलिस कप्तान हुआ करते थे तब बाबा कहते थे कि शैलेश बच्चा तुम्हें दुबारा मथुरा आकर ब्रजभूमि की सेवा करनी है और यहीं की मिट्टी में लोटपोट होना है।
अंत में एक और बात बताता हूं जो लोगों को अविश्वसनींय सी लगेगी किंतु मैं अपने अनुभव के आधार पर कह रहा हूं कि बाबा इन्हें अपनी अलौकिक शक्तियां भी आंशिक रूप से दे गए हैं जिन्हें ये कभी जाहिर नहीं होने देते। यह मैं इस आधार पर कह रहा हूं कि कुछ बातों का इन्हें पूर्वाभास हो जाता है और इनकी कही हुई बातें आगे सच साबित हो जाती हैं। कभी-कभी तो मुझे लगता है कि यह छोटे बाबा हैं। हालांकि मेरी यह बात इनको अखरेगी।
शैलजा कांत जी की इस अनूठी गुरु भक्ति के आगे में नतमस्तक हूं। ईश्वर अनंत समय तक ब्रजभूमि पर बाबा और उनकी छत्रछाया बनाऐ रखें।