Saturday, November 23, 2024
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जीएलए मैकेनिकल के छात्र और प्रोफेसरों की ‘इलेक्ट्रिक ट्रॉली‘ का पेटेंट प्रकाशित

  • जीएलए के छात्र और प्रोफेसरों ने अपनाई इलेक्ट्रिक तकनीक से अब सीढ़ियों के माध्यम से मंजिल पर भारी सामान को ले जाना होगा आसान

मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के छात्र और शिक्षक दिन-प्रतिदिन एक नए अनुसंधान की ओर अग्रसर हैं। अनवरत इसी सिलसिले को अपनाते हुए मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र और प्रोफेसरों ने एक ऐसी तकनीक विकसित करने का शानदार विचार पेश किया है, जिससे अब हर मंजिल पर सीढ़ियों के माध्यम से भारी से भारी वजन ले जाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत नहीं पडे़गी। छात्र और प्रोफेसर के विचार का पेटेंट प्रकाशित हुआ है।

विदित रहे कि लोग अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन में विभिन्न क्षेत्रों से गुजरते हैं, जहां सपाट सतह का निर्माण होता है या एक मंजिल से दूसरे मंजिल तक जाने के लिए सीढ़ियां होती हैं। समतल या सामान्य सतह पर अपने भारी सामान को हाथ से खींचने वाली ट्रॉली की सहायता से खींचते/उठाते हैं, लेकिन जब सीढ़ियां चढ़ने की बात आती है, तो सामान खींचने वाली यह ट्रॉली चलते समय उसी भारी सामान को उठाने/खींचने में विफल हो जाती है। यहां तक कि ट्रॉली बैग भी सीढियों पर विफल साबित होता हुआ दिखता है।

सीढ़ियों अथवा समतल सतह पर विफलता को सफलता में बदलते हुए मैकेनिकल विभाग के अंतिम वर्ष के छात्र यश अग्रवाल ने प्रोफेसर डा. कमल षर्मा, डा. सोनी कुमारी एवं आईआईटीरैम अहमदाबाद के डा. अभिषेक कुमार के साथ मिलकर “इलेक्ट्रिक सीढ़ी चढ़ने व सामान खींचने वाली ट्रॉली“ डिजाइन करने का विचार आया जो न केवल सपाट सतह पर स्वतंत्र रूप से चलती है, बल्कि सीढ़ियों पर भी उसी तरह चल सकती है। इससे हमें यह सुविधा मिलती है कि हमें सीढ़ियां चढ़ते समय भारी सामान उठाने/खींचने के लिए अतिरिक्त प्रयास नहीं करना पड़ता है। यह ट्रॉली उपलब्ध ट्रॉली जैसी ही होगी, लेकिन अतिरिक्त रूप से इसमें एक मोटर, डुअल शाफ्ट गियर मोटर ड्राइवर, बैटरी और ब्लेड व्हील शामिल है। जिससे यह सीढ़ी चढ़ने व सामान खींचने वाला काम आसानी से किया जा सके।

बैटरी का उपयोग विद्युत ऊर्जा को संग्रहीत करने और जब मोटर को कोई आवश्यकता हो तो उसे संचारित करने के लिए किया जाता है तारों का उपयोग इन घटकों और कई अन्य को जोड़ना हैं जो इस परियोजना को बड़ी दक्षता के साथ सफल बनाते हैं।

विभागाध्यक्ष प्रो. पियूष सिंघल ने बताया कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अनुसंधान ने जिस प्रकार गति पकड़ी है, ठीक उसी प्रकार रोजगार के भी द्वार खुले हैं। बेहतर अनुसंधान और कंपनियों के मांग के अनुरूप मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र विभिन्न प्रोजेक्टों पर कार्य कर रहे हैं।

डीन रिसर्च प्रो. कमल शर्मा ने बताया कि जीएलए के प्रोफेसर और छात्र अपना हर एक दिन नए अनुसंधान को दे रहे हैं। जब नए-नए अनुसंधान होंगे तो वाकई प्रगति के द्वार खुलेंगे। प्रो. कमल ने सभी छात्रों को अनुसंधान से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।

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