Sunday, November 10, 2024
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केडी हॉस्पिटल में तीन साल की बच्ची को मिली नई जिन्दगी, डॉ. श्याम बिहारी शर्मा ने पीठ पर द्रव से भरी गांठ का किया ऑपरेशन

मथुरा। के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के विशेषज्ञ शिशु शल्य चिकित्सक डॉ. श्याम बिहारी शर्मा और उनकी टीम ने गांव जैंत मथुरा निवासी राजू-दिव्यांशी की तीन साल की बच्ची सृष्टि की पीठ पर द्रव से भरी गांठ का सफल ऑपरेशन कर उसे नई जिन्दगी दी है। अब बच्ची स्वस्थ है तथा सामान्य रूप से चल-फिर रही है। उसे मल-मूत्र त्यागने में भी कोई परेशानी नहीं है।
जानकारी के अनुसार जैंत हायर सेकेण्ड्री स्कूल में कार्यरत राजू की तीन साल की बच्ची सृष्टि की पीठ पर जन्म से ही द्रव से भरी गांठ होने के चलते, वह हमेशा रोती-बिलखती रहती थी। सृष्टि की परेशानी को देखते हुए माता-पिता ने उसे मथुरा के कई जाने-माने चिकित्सकों को दिखाया लेकिन कोई भी बच्ची की परेशानी दूर नहीं कर सका। आखिरकार लोगों की सलाह के बाद राजू और उसकी पत्नी दिव्यांशी 29 जुलाई को बच्ची सृष्टि को लेकर के.डी. हॉस्पिटल आए और शिशु शल्य विशेषज्ञ डॉ. श्याम बिहारी शर्मा से मिले।
डॉ. श्याम बिहारी शर्मा ने बच्ची की एमआरआई कराई जिससे पता चला कि जन्म से ही उसकी पीठ पर फोड़ा था जिसमें द्रव पदार्थ भरा था। मेडिकल भाषा में इसे मेनिंगोमाइलोसील कहते हैं जो मेरुदण्ड तथा सुषुम्ना नाड़ी (स्पाइनल कॉर्ड) की जन्मजात विकृति होती है जिसमें पैरों में कमजोरी तथा मलद्वार व मूत्र उत्सर्जन में कंट्रोल नहीं रह पाता। यह लक्षण प्रारम्भ में भी हो सकते हैं तथा ऑपरेशन के बाद भी। डॉ. शर्मा ने परिजनों को सारी बातें बताने के बाद बच्ची सृष्टि के तुरंत ऑपरेशन की सलाह दी।
परिजनों की स्वीकृति के बाद एक अगस्त को शिशु शल्य चिकित्सक डॉ. श्याम बिहारी शर्मा द्वारा बच्ची का ऑपरेशन किया गया। इस ऑपरेशन में डॉ. शर्मा का सहयोग जूनियर रेजीडेंट डॉ. समर्थ ने किया। ऑपरेशन के बाद डॉ. शर्मा ने बताया कि यह जानलेवा बीमारी है, लेकिन समय रहते इस बीमारी की रोकथाम की जा सकती है। उन्होंने कहा कि जन्म के बाद अगर नवजात के शरीर में फोड़ा है तो उसे तुरंत अस्पताल लेकर जाना चाहिए।
डॉ. शर्मा बताते हैं कि जब शरीर पर ऐसा फोड़ा होता है तो रीढ़ की हड्डी में मामूली सा गैप आ जाता है। फिर उसी गैप से शरीर के अंदर की नसें व अन्य कोशिकाएं शरीर के बाहर आ जाती हैं। ऑपरेशन में उस गैप से शरीर के अंदर नसों व अन्य कोशिकाओं को डालकर गैप को बंद किया जाता है। फिर फालतू हिस्से को काटा जाता है। रिकवरी में 4 से 5 दिन लगते हैं। खैर ऑपरेशन के बाद बच्ची को कुछ दिन चिकित्सकों की निगरामी में रखा गया तथा उसके पूर्ण स्वस्थ होने के बाद 6 अगस्त को अस्पताल से छुट्टी कर दी गई। अब बच्ची स्वस्थ है तथा उसे किसी तरह की परेशानी नहीं है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल तथा डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका ने बच्ची सृष्टि की सफल सर्जरी के लिए चिकित्सकों की टीम को बधाई देते हुए उसके स्वस्थ-सुखद जीवन की कामना की है।

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