मथुरा। संस्कृति स्कूल आफ एग्रीकल्चर द्वारा संस्कृति विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कृषि दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद जो कि भारत के पहले कृषि मंत्री भी रहे हैं, उनकी जयंती के मौके पर आयोजित कृषि दिवस के दौरान वक्ताओं ने पूर्व राष्ट्रपति के कृषि क्षेत्र में दिए गए योगदान पर प्रकाश डालते हुए उनकी याद की।
कार्यक्रम के समन्वयक डा. सतीश चंद्र ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए राष्ट्रीय कृषि दिवस के बारे में बताया। साथ ही डॉ. राजेंद्र प्रसाद की विरासत और आकार देने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि हमारे वातावरण में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। मौसम में हो रहे बदलाव के कारण फसलों पर भी असर पड़ रहा है। इतना ही नहीं देश के अलग-अलग भाग में कृषि की परिस्थितियों में भी बदलाव हो रहा है। छात्रों को इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए अनुसंधान के कार्य में निरंतर संलग्न रहना चाहिए। उन्होंने कहा कृषि में नवाचार और तकनीकी प्रगति तेजी के साथ हो रही है। भारत आज काद्यान्न, दुग्ध उत्पादन और सब्जियों के उत्मादन में आत्मनिर्भर है। लेकिन यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि अभी बहुत कुछ ऐसा करना बाकी है जो हमारी भावी पीढ़ी के जीवन को सहज बना सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए सतत अभ्यास और ऐसी प्रौद्योगिकियों का विकास करना है जो किसानों के अनुकूल हों और पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित हों।
वक्ताओं ने विद्यार्थियों को भविष्य की तैयारियों के कहा कि विद्यार्थियों को जलवायु परिवर्तन और संसाधनों के कारण आने वाली चुनौतियों का सामना करते हुए दीर्घकालीन कृषि विकास सुनिश्चित करने के लिए संरक्षण और पारिस्थितिकीय के साथ संतुलन बैठाने में महारत हासिल करनी होगी। कार्यक्रम का समापन सहायक प्रोफेसर डॉ. आकाश शुक्ला के हार्दिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ उन्होंने कृषि विद्यालय के डीन, संकाय सदस्यों का आभार व्यक्त किया।
संस्कृति विवि में मनाया गया राष्ट्रीय कृषि दीवस, शोध के लिए किया प्रेरित
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