विजय गुप्ता की कलम से
मथुरा। मथुरा के दुर्लभ जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह के कमिश्नर बनने पर खुशी और गम साथ-साथ हो रहे हैं। खुशी इस बात की कि जनमानस के प्रिय शैलेंद्र जी अब आगरा के कमिश्नर बनकर जा रहे हैं और गम इस बात का है कि वे अब हम मथुरा वासियों से दूर हो जाएंगे।
ब्रजवासियों को इस बात का संतोष भी है कि शैलेंद्र जी कमिश्नर बनकर कहीं दूर नहीं बल्कि पास में ही जा रहे हैं। वे आगरा के कमिश्नर बन रहे हैं तो मथुरा भी उन्हीं के अंडर में रहेगा तथा उनका आना-जाना तो लगा ही रहेगा। उनके शुभचिंतक तो बहुत दिन से इसी बात की दुआ कर रहे थे कि अगर ये कमिश्नर बनकर जांय भी तो आगरा के ही बने कहीं दूर के नहीं। ईश्वर ने उनकी सुनली वे सुनेंगे भी क्यों नहीं आखिर शैलेंद्र जी भी तो बांके बांके बिहारी और ब्रज की माटी से बेहद प्यार करते हैं।
वैसे देखा जाय तो सामान्यतः किसी भी जिलाधिकारी को प्रमोशन करके उसी मंडल का तुरंत कमिश्नर नहीं बनाया जाता किंतु कहते हैं कि “जापै कृपा राम की होई तापै कृपा करें सब कोई” जब शैलेंद्र जी पर ईश्वर की कृपा और सुबे के मुखिया योगी बाबा की कृपा तथा थोड़ा और आगे चले तो मुखिया जी की नाक के बाल संत शैलजाकांत जी की भी विशेष कृपा तो फिर कौन माई का लाल उन्हें मथुरा से सटे आगरा में ही ऊंचे ओहदे की तैनाती मिलने से रोक पाएगा? ये सब घटनाक्रम परम पूज्य देवरहा बाबा महाराज की कृपा से ही हो रहा है यह भी अकाट्य सत्य है।
सही मायने में देखा जाए तो योगी आदित्यनाथ शैलजाकांत मिश्र और शैलेंद्र कुमार सिंह तीनों ही संतत्व से लबालब हैं। फर्क इतना है कि योगी जी गेरुआ धारी ब्रह्मचारी हैं और शैलजाकांत मिश्र तथा शैलेंद्र कुमार सिंह भले ही गेरुआ धारी न सही पर मन उनका गेरुआ जैसा ही है। ये ग्रहस्थ के सच्चे संत है। ईश्वर लंबे समय तक इनकी छत्रछाया ब्रजभूमि पर बनाए रखें।