वृंदावन। संस्कार भारती वृंदावन इकाई द्वारा अहिल्याबाई होल्कर की 300 वीं जन्मशती पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने “अहिल्याबाई होल्कर की राष्ट्रीय उत्थान में भूमिका “
विषय पर विचार व्यक्त किए।
मुख्य वक्ता गोपाल कृष्ण दुबे ने कहा कि महारानी अहिल्याबाई होलकर की 300 वीं जन्म शती पूरा देश मना रहा है उनकी प्रजा ने ही उन्हें राजमाता बनाया।उनकी समाज सेवा भारतीय संस्कृति की जो विरासत है उसको संरक्षित करने का जो काम था वह राष्ट्रीय महत्व का ही नहीं बल्कि पूरी मानवता के महत्व का कार्य था।
विशिष्ट अतिथि रुपेश धनगर ने कहा कि मातेश्वरी अहिल्याबाई होल्कर नारी सशक्तिकरण का अनूठा उदाहरण है। उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान दहेज प्रथा और सती प्रथा क़ो खत्म करने का काम किया। मुख्य अतिथि घनश्याम होलकर ने कहा कि देवी अहिल्याबाई होल्कर ने जल, जंगल और जमीन की रक्षा, शिक्षा, चिकित्सा, न्याय व्यवस्था के नीतिगत प्रबंध किए। रोजगार व्यापार कृषि को बढ़ावा दिया। अध्यक्षता कर रहे डॉक्टर उमाशंकर राही ने कहा कि अहिल्याबाई होलकर ने राष्ट्र के उत्थान के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। राष्ट्र सेवा से बढ़कर कोई और धर्म नहीं है। इसी का परिचय उन्होंने दिया। कवि मोहन लाल मोही ने काव्य के माध्यम से महारानी अहिल्याबाई होल्कर का कृतित्व और व्यक्तित्व रेखांकित किया। कार्यक्रम में अजय अग्रवाल मूर्ति वाले, विनीत अग्रवाल, अखिल अग्रवाल खांड़वाले , हरिदास अग्रवाल, राजीव अग्रवाल गोटे वाले आदि मौजूद रहे। संचालन ब्रज किशोर त्रिपाठी ने किया धन्यवाद ज्ञापन हरिवंश खंडेलवाल ने किया।
राष्ट्रोत्थान को समर्पित महारानी अहिल्याबाई होलकर
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