मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में भव्य समारोह के दौरान ‘स्पोर्ट्स फिएस्टा 2025’ के दूसरे दिन के मुख्य अतिथि क्रिकेट की विश्वविजेता टीम के ख्यातिप्राप्त सदस्य हरफनमौला मदनलाल शर्मा ने जब संस्कृति विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों और विद्यार्थियों के बीच मंच से यह कहा कि मैंने भगवान को देखा है तो सब अचंभित हो गए। लेकिन जब उन्होंने कहा कि मैं अपने माता-पिता को ही भगवान मानता हूं तो तालियों से सारा प्रांगण गूंज उठा। उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए आपका उस क्षेत्र में समर्पण और पूर्ण लगन जरूरी है।
उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता था कि मथुरा में इतना अच्छा विश्वविद्यालय है तथा यहाँ आयुर्वेदिक हास्पीटल भी चलता है। विद्यार्थियों के लिए यह एक अच्छी यूनीवर्सिटी है। कोई भी इन्सान अगर आपको अच्छी बाताता है और उस बात को आप एकड़ लेते हैं तो आप हमेशा आगे बढ़ जाते हैं। जीवन में हमेशा सीखते रहना चाहिए। सफलता के लिए अनुशासन, कड़ी मेहनत और लगातार सीखते रहने की मंशा जरूरी है। हर क्षेत्र में कम्पटीशन है, चुनौती है। हमे उससे गुजरना पड़ता है। मैं हमेशा अपने आपको जज करता हूँ, अपनी कमियों को ढूढता हूं और उन्हें ठीक करता है और उससे सीखता हूं, आपको भी ऐसा करना चाहिए। हम हमेशा सोचते रहते हैं कि हमें यह करना, यह करना है। बेहतर है कि अपना एक लक्ष्य निर्धारित करें और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मेहनत करें। आपकी सफलता पर माता-पिता सबसे ज्यादा खुश होते हैं। वे ही हमें इस योग्य बनाते हैं और वे ही हमारे सच्चे भगवान हैं, पृथ्वी पर आने के बाद सबसे पहले हम उन्ही को देखते हैं। अभी से अपने लक्ष्य को पाने के लिए जुट जाइये क्योंकि जब टाइम चला जाएगा कोई नहीं पूछेगा। समय का सदुपयोग करिए।
संस्कृति विवि के कुलाधिपति सचिन गुप्ता ने संस्कृति स्पोर्टस फिएस्टा 2025 के मंच पर देश के महान खिलाड़ी मदनलाल शर्मा का स्वागत करते हुए कहा कि कौन नहीं जानता कि 1983 में क्रिकेट वर्ल्ड कप में जो जो जीत मिली उसमें आपका कितना बड़ा योगदान था। एक समय था जब बीसीसीआई के पास पैसा नही था। खिलाड़ियों को आज जितना पैसा नहीं मिलता था लेकिन खिलाड़ियों के अंदर देश का नाम ऊंचा करने का जज्बा बहुत था। उन्होंने कहा कि इंसान के अंदर जज्बा हो तो वह कुछ भी कर सकता है। कुछ भी असम्भव नहीं है। हार को कभी भी गले नहीं लगाना है, जीवन में हमेशा आगे बढ़ते रहना है। हमारे देश में क्रिकेट की लोकप्रियता इस कदर बढ़ी कि 1983 की जीत के बाद हर घर में एक बैट अवश्य आ गया। मेरी आशा है कि आप में से भी कोई आगे चलकर इस मन्च पर मुख्य अतिथि के रूप में विराजमान होगा।
संस्कृति विवि में कैप्स के डीन डा. रजनीश त्यागी ने कहा कि रजनीश त्यागी ने कहा कि हमें नाज है कि 1983 में विश्व कप दिलाने वाले मदनलाल ने खतरनाक खिलाड़ी विवियन रिचर्ड का कैच लेकर भारतीय इतिहास रचा था। उस समय के हीरो मदन लाल शर्मा अगर न होते तो भारत को यह गर्वित मौका हासिल न होता। उस समय ब्लैक-व्हाइट टीवी हुआ करता था और हम आंख लगाए देखते रहते थे। आज ऐसे महान खिलाड़ी को अपने बीच देखकर हम सभी गौरवान्वित हैं। मंच पर ब्रज की परंपरा के अनुसार पूर्व क्रिकेटर मदनलाल शर्मा का जोरदार स्वागत किया गया। स्वागत करने वालों में इस मौके पर पूर्व क्रिकेटर ने क्रिकेट लीग की ट्राफियों का अनावरण किया। मंच संचालन संस्कृति प्लेसमेंट सेल की ज्योति यादव ने किया। आज के इस आयोजन में क्रीड़ा अधिकारी मो.फहीम, डा.दुर्गेश वाधवा, प्रशासनिक अधिकारी विजय श्रीवास्तव और एडमीशन सेल के विजय सक्सेना का विशेष योगदान रहा।
संस्कृति स्पोर्ट्स फिएस्टा में आकर बहुत अच्छा लगा
संस्कृति विवि में आए पूर्व क्रिकेटर मदनलाल शर्मा ने बातचीत के दौरान कहा कि यहां आकर, खिलाड़ियों के बीच बहुत अच्छा लगा। संस्कृति विवि में खेल आयोजन इस उच्च स्तर के होते हैं, जानकर बहुत खुशी हुई। एक सवाल के उत्तर में उन्होने कहा कि इस समय इन्डिया का भविष्य उज्जवल है। पूरी टीम काम कर रही है जीत के लिए हर किसी की जिम्मेदारी होती है, कोई एक व्यक्ति जीत नहीं दिला सकता। जीत की पूरी टीम इसकी हकदार होती है। दर्शकों का मन होता है कि हमारी टीम हर मैच जीत जाए मगर ऐसा होता नही है और भी टीमें खेलने आई हैं। चेलेन्ज तो फेस करने ही होते हैं आपकी मेहनत पर ही सब कुछ निर्भर करता है। हर क्षेत्र में यह जरूरी है। अगर आपका कार्य अच्छा है तो हर जगह आपको पूछा जायेगा। हमें जीत की अहमीयत पता होनी चाहिए। खुशी का इजहार ही नहीं होगा तो कैसे पता होगा कि जीत होती क्या होती है, हारता कोई नहीं सब सीखते है। हर समय सीखने को मिलता है।
एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा कि स्पोटर्स हमेशा कुछ न कुछ देकर ही जाएगा। देश के प्रधानमंत्री मोदीजी ने खेलों की तरफ ध्यान दिया है। उप्र के मुख्यमंत्री योगीजी भी खेलों पर बहुत ध्यान दे रहे हैं। मैं अभी लखनऊ में योगीजी के साथ था तो उन्होंने “खेल संस्कृति” को बहुत बढ़ावा दिया है। खेल के लिए बहुत पैसा दिया जा रहा है। देश व प्रदेश में बहुत बड़ी रकम दी जा रही है। युवाओं को खेलों में आकर ही इस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए और इस प्रकार से खेल को बढ़ावा मिलना ही चाहिए।
जिस प्रकार से शिक्षा के क्षेत्र में सचिन जी ने इतना काम किया है, वे इस फील्ड के चैंपियन हैं। हम अपनी फील्ड के चेम्पीयन हैं। हमें हमेशा प्रयास करते रहना चाहिए कि कुछ अच्छा करें समाज के लिए, लोगों के लिए, छात्रों के लिए, अपने देश के लिए कुछ करें।