Wednesday, April 30, 2025
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देवराहाबाबानेमिट्टीकाएकढेलादहेजमेंदिलवाकरशादीकरादी

 मथुरा। एक बार की बात है देवराहा बाबा के पास दो लोग दर्शनार्थ आये, उन दोनों की एक ही समस्या। एक की लड़की को लड़का नहीं मिल रहा था और दूसरे के लड़के के लिए लड़की की व्यवस्था नहीं बन पा रही थी। बाबा को पता नहीं क्या सूझी कि उन्होंने कहा कि तुम दोनों ही अपने लड़के और लड़की की शादी आपस में कर दो। बाबा की आज्ञा को उन्होंने तुरंत मान लिया और रिश्ता पक्का कर डाला। इसके बाद लड़की के पिता ने बाबा से कहा कि महाराज हमारी बहुत बड़ी समस्या का समाधान आपने कर दिया किंतु एक और कृपा कर दें कि दहेज में क्या देना है? वह भी आपके सामने ही तय हो जाए तो बहुत अच्छा रहेगा। बाबा ने कहा कि ठीक है वह भी किये देता हूं। इसके बाद उन्होंने अपनी मचान के पास से मिट्टी का एक ढेला उठवाकर मंगाया और उसे स्पर्श करके लड़की के पिता को दिलवाकर कह दिया कि इसे लड़के के पिता को दहेज स्वरूप दे दो। लड़की के पिता ने ठीक वैसा ही किया तब बाबा ने कहा कि अब तुम्हारे बेटे बेटी की शादी हो गई और दहेज की समस्या भी निपट गई। बाबा ने कहा कि अब तुम लोग अपने घर जाओ और सात फेरे आदि की सांसारिक परंपराओं की औपचारिकताओं को पूरा कर लो। इसके बाद वे दोनों हंसी-खुशी वहां से अपने-अपने घरों को चले गये। 
यह बात मुझे पूज्य देवराहा बाबा महाराज के परम प्रिय शिष्य और उनके आध्यात्मिक उत्तराधिकारी संत शैलजाकांत ने विगत दिनों दहेज के बारे में हुई चर्चा के दौरान बताई। बाबा के द्वारा शादी और दहेज के अनोखे अनुष्ठान का संदेश स्पष्ट है। मेरा मानना है कि दहेज प्रथा तो सती प्रथा से भी ज्यादा अनिष्टकारी है क्योंकि सती प्रथा के दौरान तो लाखों में एकाध की जान जाती थी किंतु अब तो कोढ़ से भी बुरी इस बीमारी के कारण पूरे देश में रोजाना सैकड़ो अवलाओं की जान जा रही है, और हजारों उत्पीड़ित होते हुए नारकीय जीवन जी रही हैं। दहेज या अन्य किसी प्रकार से लड़का व लड़की पक्ष में हो रहे लेने-देन तथा विवाह शादियों में हो रही फिजूल खर्ची को देखकर मेरा मन तो जलता भुनता रहता है। मैंने अपनी शादी बगैर दहेज बगैर बारात की निकासी तथा बगैर किसी दावत के की। सिर्फ लगुन में जलपान रखवाया। शादी में कुल 10-12 लोग लड़की वालों के यहां गये और फेरे डलवा कर वापस आ गये।
 लगभग 5 दशक पूर्व दहेज के प्रति उस दिन बड़ी जबरदस्त घृणा हुई जब मैंने एक समाचार पत्र की प्रथम पृष्ठ पर दिल दहलाने वाली एक खबर व फोटो देखा, जिसमें कानपुर की तीन सगी बहनों ने पंखे से लटक कर अपनी जान दे दी तीनों बहनें शादी योग्य थीॅ तथा माता-पिता गरीब थे। वह बेचारे रात दिन अपनी बेटियों की शादी के लिए चिंतित रहते। उनकी चिंता दूर करने के लिए तीनों बहनों ने यह आत्मघाती कदम उठाया। पंखे से लटकी तीनों बहनों का फोटो देखकर तो मेरी आत्मा रो उठी। इस दहेज खोरी के चक्कर में ही गर्भ में कन्याओं की हत्या हो रही है। आज अष्टमी का दिन है दिखावट के लिए कन्याओं की पूजा हो रही है किंतु सच्चाई में कन्याओं की पूजा का ढोंग करने वाले ये दहेज खोर ही अधिकांशतः कन्या हत्यारे हैं। इन चांडाल नर पिशाचों को अपने कर्मों का फल जन्म-जन्मांतर तक भुगतना पड़ेगा और मृत्यु पर्यंत भी उनकी मुक्ति सैकड़ो हजारों साल तक नहीं होगी और उनकी आत्मा तड़पती ही रहेंगी।

5 अप्रैल 2025 को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर मथुरा कांग्रेस जिलाध्यक्ष मुकेश धनगर के नेतृत्व में मथुरा जनपद के बलदेव ब्लॉक में संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर पार्क में महान स्वतंत्रता सेनानी सामाजिक न्याय के पुरोधा व पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम जी एवं निषादों के राजा महाराज निषाद राज गुह जी की जयंती मनाई गई।


जिलाध्यक्ष मुकेश धनगर ने अपने संबोधन में कहा कि महान स्वतंत्रता सेनानी सामाजिक न्याय के पुरोधा व पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम जी एवं निषादों के राजा महाराज निषाद राज जी की जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं बाबूजी ने अपना पूरा जीवन वंचितों, शोषितों और दलितों के अधिकारों के लिए समर्पित किया उन्होंने उनके हक और भागीदारी को मजबूत कर देश के लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों को मजबूती प्रदान की निषादों के राजा महाराज निषाद राज गुह जी ऋंगवेरपुर (वर्तमान प्रयागराज) के महाराजा थे उन्होंने ही वनवासकाल में प्रभु श्री राम जी माता सीता जी तथा लक्ष्मण जी को अपने सेवकों के द्वारा गंगा पार करवाया था वनवास के बाद भगवान श्री रामचंद्र जी ने अपनी पहली रात अपने मित्र निषाद राज के यहां बिताई थी कार्यक्रम का संचालन डॉ दीपक आर्य ने किया कार्यक्रम में कांग्रेस जनों में उपस्थित विक्रम बाल्मीकि पूर्व अध्यक्ष महानगर मथुरा मानवेंद्र पांडव शैलेंद्र चौधरी पंकज चौधरी मुकेश धनगर बीडीसी सतीश बघेल बी एल शर्मा क्षेत्रपाल सिंह अश्वनी शुक्ला एडवोकेट अप्रतिम सक्सेना रमेश कश्यप गौरव सिंह प्रेमचंद गौतम टिंकू राजेंद्र जयपाल राजा गौतम महेश चौबे आदि कांग्रेस जनों ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

के.डी. मेडिकल कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने फहराया अपनी मेधा का परचमएमबीबीएस 2021 बैच के थर्ड प्रोफेशनल की पार्ट-1 परीक्षा में सभी विद्यार्थी उत्तीर्णजानवी वत्स, चाहत सिंह और रश्मि तोमर के 70 फीसदी से अधिक अंक

मथुरा। चिकित्सा-शिक्षा के क्षेत्र में सिर्फ ब्रज मण्डल ही नहीं समूचे उत्तर प्रदेश के श्रेष्ठ संस्थानों में शुमार के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के एमबीबीएस 2021 बैच के छात्र-छात्राओं ने थर्ड प्रोफेशनल की पार्ट-1 परीक्षा में शत-प्रतिशत सफलता हासिल कर अपनी मेधा का परचम फहराया है। अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल विश्वविद्यालय लखनऊ द्वारा जनवरी माह में ली गई थर्ड प्रोफेशनल की पार्ट-1 परीक्षा में 147 छात्र-छात्राएं बैठे थे जिसमें सभी अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हुए हैं।हाल ही में एमबीबीएस 2021 बैच के छात्र-छात्राओं की थर्ड प्रोफेशनल की पार्ट-1 परीक्षा का परिणाम विश्वविद्यालय द्वारा घोषित किया गया जिसमें के.डी. मेडिकल कॉलेज के सभी छात्र-छात्राओं को शत-प्रतिशत सफलता मिली है। इस शानदार सफलता पर खुशी जताते हुए के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने कहा कि यह दूसरा अवसर है जब मेडिकल की कठिन परीक्षा में हमारे शत-प्रतिशत विद्यार्थी अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हुए हैं। श्री अग्रवाल ने सभी छात्र-छात्राओं को लड्डू खिलाकर जहां उनका उत्साहवर्धन किया वहीं 70 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाली जानवी वत्स, चाहत सिंह और रश्मि तोमर के गले में पटका डालकर उन्हें शाबासी दी।
इस अवसर पर श्री अग्रवाल ने कहा कि यह कामयाबी छात्र-छात्राओं की मेहनत तथा प्राध्यापकों के कुशल मार्गदर्शन का नतीजा है। उन्होंने कहा कि सफलता से खुशी जरूर मिलती है लेकिन प्रत्येक छात्र-छात्रा को अपने अध्ययन को उसी तन्मयता से जारी रखना चाहिए ताकि इससे प्रेरणा लेकर भविष्य में उससे भी बड़ी सफतला मिले। कॉलेज के डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका ने कहा कि चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर को जो भी सफलताएं मिल रही हैं, उसका सारा श्रेय आर.के. ग्रुप के चेयरमैन डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा के.डी. मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन श्री मनोज अग्रवाल के कुशल मार्गदर्शन को जाता है। उन्होंने इस सफलता के लिए एमबीबीएस 2021 बैच के छात्र-छात्राओं के साथ-साथ कम्युनिटी मेडिसिन विभाग तथा फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के सभी प्राध्यापकों को भी बधाई दी तथा कहा कि असली शिल्पकार तो शिक्षक ही होता है क्योंकि वही बच्चों की मेधा को निखारता है।
डॉ. अशोका ने कहा कि परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत आना इस बात का सूचक है कि हम मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में सही दिशा की तरफ बढ़ रहे हैं। उन्होंने सर्वोच्च अंक लाने वाली जानवी वत्स, चाहत सिंह और रश्मि तोमर की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। थर्ड प्रोफेशनल की पार्ट-1 परीक्षा में जानवी वत्स ने 73.40 प्रतिशत, चाहत सिंह ने 72.80 प्रतिशत तथा रश्मि तोमर ने 71.60 प्रतिशत अंक हासिल किए। इस अवसर पर चिकित्सा निदेशक डॉ. राजेन्द्र कुमार, कम्युनिटी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. गौरीशंकर गोयल, डॉ. अमनजोत कौर, डॉ. स्वेता सिंह, डॉ. शुभ्रा दुबे, असिस्टेंट प्रो. अंकुर कुमार, डॉ. समीर, फोरेंसिक मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. पवन पी.एन., डॉ. मुनीश शर्मा, डॉ. सुनील, डॉ. ममता, डॉ. आद्या सिंह, परीक्षा प्रभारी डॉ. दुष्यंत, लेखाधिकारी लव अग्रवाल, एचआर मैनेजर मनोज गोस्वामी, अंशुमन वर्मा आदि ने भी छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन किया।
चित्र कैप्शनः के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के चेयरमैन मनोज अग्रवाल के साथ एमबीबीएस 2021 बैच के मेधावी छात्र-छात्राएं। दूसरे चित्र में मेधावी छात्रा का उत्साहवर्धन करते चेयरमैन श्री मनोज अग्रवाल।

के.डी. हॉस्पिटल के नेत्र शिविर का मरीज उठा रहे लाभमहंगी जांचों का शुल्क नाममात्र, हर तरह का ऑपरेशन निःशुल्क

मथुरा। नवरात्र के पावन अवसर पर के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर प्रबंधन द्वारा लगाए गए एक माह के नेत्र शिविर में ब्रज क्षेत्र और उसके आसपास के जिलों के नेत्र पीड़ितों को हर तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं। नेत्र पीड़ितों के सफेद मोतियाबिंद सहित अन्य ऑपरेशन निःशुल्क किए जा रहे हैं वहीं काले मोतियाबिंद तथा डायबिटिक रिटैनोपैथी की महंगी जांचें नाममात्र के शुल्क पर की जा रही हैं। यह नेत्र शिविर 30 अप्रैल तक चलेगा।
नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अमित कुमार जैन ने बताया कि के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर प्रबंधन द्वारा गरीब और जरूरतमंद लोगों को नेत्र सम्बन्धी समस्याओं से निजात दिलाने के लिए एक माह का निःशुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर लगाया गया है। शिविर में आने वाले मरीजों का विशेषज्ञ चिकित्सक जांच और उपचार कर रहे हैं। जो मरीज मोतियाबिंद, कालापानी या कॉर्निया आदि से पीड़ित हैं, उन्हें ऑपरेशन के लिए भर्ती किया जा रहा है।
डॉ. जैन ने बताया कि यहां काला मोतियाबिंद की जांच (ग्लूकोमा) जैसे पैरीमैट्री, ओसीटी एवं गोनियोस्कोपी जैसी महंगी जांचें सिर्फ पांच सौ रुपये में की जा रही हैं। सामान्यतः यह जांचें अन्य चिकित्सालयों में दो से तीन हजार रुपये में होती हैं। इसी तरह शुगर से होने वाली डायबिटिक रिटैनोपैथी की जांचें जैसे फंडस फोटोग्राफी, फ्लोरोसिन एंजियोग्राफी प्रत्येक की जांच पांच सौ रुपये तथा रेटिना की लेजर चिकित्सा मात्र एक हजार में की जा रही है। डॉ. जैन का कहना है कि उपरोक्त जांचें अन्य चिकित्सालयों में लगभग दो हजार रुपये तथा रेटिना लेजर तीन हजार रुपये में की जाती है।
डॉ. जैन का कहना है कि के.डी. हॉस्पिटल में फंडस कैमरा, ओसीटी तथा ग्रीन लेजर जैसी अत्याधुनिक मशीनों के होने से यहां सफेद मोतियाबिंद, काला मोतियाबिंद तथा आंखों के पर्दे (रेटिना) से पीड़ित मरीजों का आसानी से ऑपरेशन और उपचार सम्भव है। डॉ. जैन बताते हैं कि यहां ग्रीन लेजर, रेटिना एंजियोग्राफी, ओसीटी, रेटिना में सूजन, टोनोमेट्री, गोनियोस्कोपी, ग्लूकोमा, एक्स्ट्रा ऑक्यूलर सर्जरी, रेटिनोस्कोपी, आंखों की सोनोग्राफी जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां डायबिटिक तथा हाइपरटेंसिव मरीजों के रेटिना सम्बन्धी विकारों की जांच एवं इलाज की भी पूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल का कहना है कि आंखें मनुष्य के जीवन का सबसे अहम अंग हैं। इसलिए हमें इनकी देखभाल में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए और समय-समय पर इनकी जांच करवाते रहना चाहिए। दिन-प्रतिदिन नेत्रों से संबंधित कई बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं, लेकिन लोग अपने कामकाज में इस प्रकार व्यस्त हैं कि इसकी ओर ध्यान ही नहीं देते जोकि गलत है।
के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल का कहना है कि इंसान आंखों के जरिए ही दुनिया देख सकता है इसीलिए हमने एक माह के निःशुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर के आयोजन का फैसला लिया है। श्री अग्रवाल का कहना है कि के.डी. हॉस्पिटल का उद्देश्य हर पीड़ित को अच्छी व सस्ती चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है।
चित्र कैप्शनः वृद्धा की आंखों की जांच करते हुए डॉ. अमित कुमार जैन।

छोटे कदम, बड़े सपने: सारंग हाई इम्पैक्ट स्कूल में नवीन सत्र शुरू

वृंदावन। सारंग हाई इम्पैक्ट स्कूल के गलियारे आज छात्रों की उत्साहित बातचीत, हल्की मुस्कान और उत्सुक कदमों की चहचहाहट से गूंज उठे, जब विद्यालय ने नए शैक्षणिक सत्र के पहले दिन छात्रों का स्वागत किया।
सुबह का माहौल उत्साह से भरपूर था, जब छात्र अपने अभिभावकों के साथ विद्यालय पहुंचे और उनके शैक्षणिक सफर के एक नए चरण की शुरुआत हुई। प्रधानाचार्य और शिक्षकगण ने छात्रों और अभिभावकों का गर्मजोशी से स्वागत किया, जिससे उनका यह बदलाव सहज और सुखद महसूस हुआ। विद्यालय की सांस्कृतिक परंपरा के अनुरूप, छात्रों का पारंपरिक ‘तिलक’ समारोह के साथ स्वागत किया गया। जो शुभारंभ का प्रतीक है। इसके बाद, सभी छात्र स्वागत गीत की धुनों के साथ असेंबली ग्राउंड की ओर बढ़े, जहां दिन की आधिकारिक शुरुआत दिव्य आशीर्वाद की प्रार्थना के साथ हुई।
पहले दिन को खास बनाने के लिए शिक्षकों ने एक विशेष स्वागत नृत्य प्रदर्शन प्रस्तुत किया। जिसके बाद एक ऊर्जावान एरोबिक्स सत्र हुआ जिससे छात्रों की घबराहट दूर हो गई और उन्होंने नए वातावरण को उत्साहपूर्वक अपनाया।
कैम्ब्रिज इंटरनेशनल करिकुलम के साथ उत्कृष्टता की ओर अग्रसर नवाचारपूर्ण शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी सारंग हाई इम्पैक्ट स्कूल ने प्रतिष्ठित कैम्ब्रिज इंटरनेशनल करिकुलम को अपनाया है, जो शैक्षणिक उत्कृष्टता के नए मानक स्थापित करता है। यह वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम छात्रों को अन्य शैक्षणिक बोर्डों की तुलना में अद्वितीय लाभ प्रदान करता है क्योंकि यह संकल्पनात्मक समझ, प्रायोगिक शिक्षण, कौशल विकास और जीवनपर्यंत सीखने की रणनीतियों पर केंद्रित है।
प्रश्न-आधारित शिक्षण पद्धतियों और तकनीक-संलग्न कक्षाओं के माध्यम से, यह पाठ्यक्रम छात्रों में आलोचनात्मक सोच और समस्या-समाधान कौशल विकसित करता है, जिससे वे तेजी से बदलती दुनिया में सफल होने के लिए सक्षम बनते हैं।
यह पाठ्यक्रम प्रत्येक शिक्षण उद्देश्य को इस प्रकार डिजाइन करता है कि वह संपूर्ण विकास को प्रोत्साहित करे, जिससे छात्रों में बौद्धिक जिज्ञासा, रचनात्मकता और आत्मनिर्भरता का विकास हो। इंटरडिसिप्लिनरी लर्निंग पर जोर देते हुए, सारंग हाई इम्पैक्ट स्कूल में कैम्ब्रिज करिकुलम वैश्विक नागरिकों को तैयार करता है, जो उच्च शिक्षा और उससे आगे के लिए उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए तैयार हैं।
सारंग हाई इम्पैक्ट स्कूल केवल एक संस्थान नहीं, बल्कि परिवर्तनकारी शिक्षा का एक केंद्र है। 21वीं सदी की शिक्षा के अग्रदूत के रूप में, यह स्कूल एक ऐसा वातावरण बनाने के लिए समर्पित है, जहां छात्र न केवल शैक्षणिक दक्षता प्राप्त करें बल्कि उन महत्वपूर्ण जीवन-कौशलों का भी विकास करें जो उन्हें भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करें। अनुभवात्मक शिक्षण और छात्र-केंद्रित दृष्टिकोण के माध्यम से, स्कूल आत्मविश्वास और ईमानदारी के साथ नेतृत्व करने वाले समग्र व्यक्तित्वों को विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
छात्रों के सहज बदलाव को सुगम बनाने और उनमें अपनत्व की भावना विकसित करने के लिए, विद्यालय ने कई रोचक एवं संवादात्मक गतिविधियों का आयोजन किया। छात्रों ने बौद्धिक चुनौतियों, पहेलियों, गणितीय प्रश्नोत्तरी और प्रायोगिक विज्ञान प्रयोगों में भाग लिया, जिससे उनकी जिज्ञासा और उत्साह को प्रेरणा मिली। प्री-प्राइमरी सेक्शन में, बच्चों ने कविता पाठ और कहानी सुनाने के सत्र का आनंद लिया, जिससे उनकी प्रारंभिक साक्षरता और संवाद कौशल को बढ़ावा मिला। रंग-बिरंगे, स्वागतपूर्ण कक्षा परिवेश ने इस आनंदमय माहौल को और भी जीवंत बना दिया, जिससे छात्रों को पहले दिन से ही विद्यालय को अपना दूसरा घर महसूस हुआ।

एक बच्चे की शिक्षा में अभिभावकों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए, विद्यालय ने अभिभावकों और शिक्षकों के बीच संवाद स्थापित करने के लिए एक संवादात्मक सत्र का आयोजन किया। इस सत्र में अभिभावकों को विद्यालय के पाठ्यक्रम, संसाधनों और शिक्षण पद्धतियों के बारे में जानकारी दी गई। कई अभिभावकों ने विद्यालय की उत्कृष्टता और पोषणपूर्ण वातावरण के प्रति अपनी सराहना व्यक्त की।

“मेरे बच्चे शुरू में घबराए हुए थे, लेकिन शिक्षकों की गर्मजोशी और समर्पण ने उन्हें पूरी तरह सहज महसूस कराया। हमें गर्व है कि हम सारंग हाई इम्पैक्ट स्कूल परिवार का हिस्सा हैं,” एक अभिभावक ने साझा किया।

पहले दिन की समाप्ति पर, छात्र नई मित्रता, रचनात्मक कलाकृतियों और रोमांचक यादों के साथ लौटे, तथा आगे की सीखने की यात्रा के प्रति उत्साहित दिखाई दिए। सारंग हाई इम्पैक्ट स्कूल वृंदावन अपनी विश्वस्तरीय शिक्षा प्रदान करने, सीखने के प्रति प्रेम को प्रेरित करने और भविष्य के लिए तैयार व्यक्तियों को विकसित करने के अपने मिशन के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है
सारंग हाई इम्पैक्ट स्कूल एक अग्रणी शिक्षण संस्थान है जो शैक्षणिक उत्कृष्टता और समग्र विकास के लिए समर्पित है। कैम्ब्रिज इंटरनेशनल करिकुलम को अपनी शिक्षा प्रणाली के मूल में रखते हुए, यह विद्यालय आधुनिक शिक्षण पद्धतियों को पारंपरिक मूल्यों के साथ एकीकृत करता है, जिससे छात्र संपूर्ण रूप से विकसित होकर वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार होते हैं।

अब तो निमंत्रण भी थैले में क्या आगे ब्रीफकेस की बारी

 मथुरा। कुछ दिन पहले की बात है। मेरे पास एक निमंत्रण पत्र जो मोटा ताजा है। कागजी थैले में रखकर आया। यह निमंत्रण पत्र बहुत पैसे वाले एक सज्जन के परिवार में होने वाले एक मांगलिक कार्यक्रम का था। थैले में रखकर अब तक तो कोई निमंत्रण पत्र आया नहीं, अब पहली बार मैंने देखा तो चौंक गया। अब तक तो सिर्फ लंबे चौड़े और भारी भरकम निमंत्रण पत्रों की स्पर्धा धनाढ्यो में चल रही थी, किंतु अब इनका आकार और भी तगड़ा करके थैलों में ब्याह शादी जनेऊ या अन्य मांगलिक कार्यों के कार्ड देने का नया चलन शुरू हो गया। मुझे तो लग रहा है कि आगे आने वाले समय में इन कार्डो का आकार और भी बढ़ जाएगा तथा ये ब्रीफकेस में रखकर बांटे जाएंगे। 
 हे भगवान यह सब क्या हो रहा है? इसे देखकर तो मुझे ऐसा लगता है कि डालमिया फार्म हाउस में हुए सैकड़ो हजारों पेड़ों के कत्ल में जो एफ आई आर दर्ज हुई है उसमें यह लोग भी नामजद होने चाहिए। कुछ लोग मेरी इस बात को मूर्खता कहेंगे किंतु इन मोटे-मोटे फैंसी कार्डो की खूबसूरती के पीछे कितनी क्रूरता छुपी है यह सोचने की बात है। इन कागजों के निर्माण की पृष्ठभूमि में उझकने से पता चलता है कि यह सब हरे भरे पेड़ों की कटान यानी हत्या का मामला है। जितना ज्यादा और जितनी बढ़िया क्वालिटी के कागजों का इस्तेमाल होगा उतनीं ही अधिक पेड़ों की हत्याएं होगी। 
 चाहे ब्याह शादी, जनेऊ या अन्य किसी भी प्रकार के निमंत्रण पत्र हों या मिठाई के डिब्बे हों अथवा अन्य किसी भी प्रकार के कागज गत्ता आदि इन सभी का अनावश्यक यानी व्यर्थ का उपयोग हम सभी को हत्यारों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर रहा है। मैं जिस कागज पर लिखता हूं बाद में उसी के पीछे भी लिखकर उसका भरपूर उपयोग करके ही रद्दी मानता हूं। हमारे यहां जो मिठाई बाजार से आती है उसके लिए घर से बर्तन भेज कर मंगाई जाती है। हालांकि दुकानदार बड़े आश्चर्यचकित होते हैं कि यह कैसा अजीब ग्राहक है? मिठाई ही क्या अन्य वस्तुओं में भी यथासंभव अपना वारदाना (बर्तन थैला) भेजकर उसमें सामान मंगाया जाता है। इससे मेरे मन को बड़ी तसल्ली या यौं कहें कि शांति मिलती है। एक और तो पेड़ों की रक्षा का ढिंढोरा पीटा जाता है और दूसरी ओर हर कोई करनी ऐसी करने में लगा हुआ है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ों का कटान हो। यह पेड़ भी जीव हैं।
 लिखते लिखते मुझे परम पूज्य देवराहा बाबा की वह बात याद आ रही है जब उनकी मचान के पास पेड़ की एक बड़ी डाली को कटने से बचाने की खातिर उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व• राजीव गांधी का कार्यक्रम स्वयं ही रद्द कर दिया। बात यह थी की सुरक्षा अधिकारियों ने उनकी मचान के पास लगे विशाल पेड़ की एक बड़ी डाली सुरक्षा के कारण से कटवाना चाहा ताकि दूर से बाबा और राजीव गांधी पर नजर बनी रहे। बाबा को जब यह बात पता चली तो उन्होंने साफ मना कर दिया और कहा कि यह पेड़ तो हमारा मित्र है, हम इससे रोजाना बतियाते हैं, किंतु सुरक्षा अधिकारी सुरक्षा की बात कह कर बाबा से बार-बार पेड़ की डाली कटवाने की मिन्नत करने लगे जो बाबा को अच्छा नहीं लगा। बाबा ने उनसे कह दिया कि अच्छा तो मैं तुम्हारे प्रधानमंत्री का कार्यक्रम ही निरस्त किए देता हूं। इसके कुछ देर बाद ही दिल्ली से रेडियो ग्राम आ गया कि प्रधानमंत्री का कार्यक्रम फिलहाल टाल दिया गया है।
 इसके कुछ दिन बाद राजीव गांधी पूज्य देवराहा बाबा का आशीर्वाद लेने आये किंतु पेड़ की डाली नहीं काटी गई। कहने का मतलब है कि इन वृक्षों की हत्या के घोर पाप से बचने के लिए हमें अनावश्यक रूप से कागजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। भले ही ब्याह शादी या अन्य किसी आयोजन के निमंत्रण पत्र हों मिठाई या अन्य सामान में डिब्बों अथवा तमाम तरह की वस्तुओं की अनावश्यक पैकिंग ही क्यों न हो। कागज के अलावा गत्तों का भी अधिक प्रयोग बहुत गलत है क्योंकि गाय भैंस आदि पशुओं के खाने वाला भूसा इस कार्य में इस्तेमाल किया जाता है। फलस्वरुप भुस की कीमत आसमान छू रही है और पशुओं को अच्छी क्वालिटी का भूसा नसीब नहीं होता।
 अब इस बारे में ज्यादा कुछ कहने की आवश्यकता नहीं समझदार को तो इशारा ही बहुत होता है। मैंने तो अपनी मोटी बुद्धि के हिसाब से बहुत कुछ लिख दिया है। बाकी जिसकी जैसी मर्जी हो करे। करोगे तो आपको माई को न बाप को। जैसा करोगे वैसा भरोगे अर्थात जैसा बोओगे वैसा काटोगे। करनी करे तो क्यों करे करके क्यों पछताय बोऐ पेड़ बबूल के तो आम कहां से खाय। अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गईं खेत। यानी अंत में सिवाय हाथ मलाने के अलावा और कोई चारा बाकी नहीं रहेगा बाकी रहेगा तो सिर्फ मलाल।

अब तो निमंत्रण भी थैले में क्या आगे ब्रीफकेस की बारी

अब तो निमंत्रण भी थैले में क्या आगे ब्रीफकेस की बारी

विजय गुप्ता की कलम से

 मथुरा। कुछ दिन पहले की बात है। मेरे पास एक निमंत्रण पत्र जो मोटा ताजा है। कागजी थैले में रखकर आया। यह निमंत्रण पत्र बहुत पैसे वाले एक सज्जन के परिवार में होने वाले एक मांगलिक कार्यक्रम का था। थैले में रखकर अब तक तो कोई निमंत्रण पत्र आया नहीं, अब पहली बार मैंने देखा तो चौंक गया। अब तक तो सिर्फ लंबे चौड़े और भारी भरकम निमंत्रण पत्रों की स्पर्धा धनाढ्यो में चल रही थी, किंतु अब इनका आकार और भी तगड़ा करके थैलों में ब्याह शादी जनेऊ या अन्य मांगलिक कार्यों के कार्ड देने का नया चलन शुरू हो गया। मुझे तो लग रहा है कि आगे आने वाले समय में इन कार्डो का आकार और भी बढ़ जाएगा तथा ये ब्रीफकेस में रखकर बांटे जाएंगे। 
 हे भगवान यह सब क्या हो रहा है? इसे देखकर तो मुझे ऐसा लगता है कि डालमिया फार्म हाउस में हुए सैकड़ो हजारों पेड़ों के कत्ल में जो एफ आई आर दर्ज हुई है उसमें यह लोग भी नामजद होने चाहिए। कुछ लोग मेरी इस बात को मूर्खता कहेंगे किंतु इन मोटे-मोटे फैंसी कार्डो की खूबसूरती के पीछे कितनी क्रूरता छुपी है यह सोचने की बात है। इन कागजों के निर्माण की पृष्ठभूमि में उझकने से पता चलता है कि यह सब हरे भरे पेड़ों की कटान यानी हत्या का मामला है। जितना ज्यादा और जितनी बढ़िया क्वालिटी के कागजों का इस्तेमाल होगा उतनीं ही अधिक पेड़ों की हत्याएं होगी। 
 चाहे ब्याह शादी, जनेऊ या अन्य किसी भी प्रकार के निमंत्रण पत्र हों या मिठाई के डिब्बे हों अथवा अन्य किसी भी प्रकार के कागज गत्ता आदि इन सभी का अनावश्यक यानी व्यर्थ का उपयोग हम सभी को हत्यारों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर रहा है। मैं जिस कागज पर लिखता हूं बाद में उसी के पीछे भी लिखकर उसका भरपूर उपयोग करके ही रद्दी मानता हूं। हमारे यहां जो मिठाई बाजार से आती है उसके लिए घर से बर्तन भेज कर मंगाई जाती है। हालांकि दुकानदार बड़े आश्चर्यचकित होते हैं कि यह कैसा अजीब ग्राहक है? मिठाई ही क्या अन्य वस्तुओं में भी यथासंभव अपना वारदाना (बर्तन थैला) भेजकर उसमें सामान मंगाया जाता है। इससे मेरे मन को बड़ी तसल्ली या यौं कहें कि शांति मिलती है। एक और तो पेड़ों की रक्षा का ढिंढोरा पीटा जाता है और दूसरी ओर हर कोई करनी ऐसी करने में लगा हुआ है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ों का कटान हो। यह पेड़ भी जीव हैं।
 लिखते लिखते मुझे परम पूज्य देवराहा बाबा की वह बात याद आ रही है जब उनकी मचान के पास पेड़ की एक बड़ी डाली को कटने से बचाने की खातिर उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व• राजीव गांधी का कार्यक्रम स्वयं ही रद्द कर दिया। बात यह थी की सुरक्षा अधिकारियों ने उनकी मचान के पास लगे विशाल पेड़ की एक बड़ी डाली सुरक्षा के कारण से कटवाना चाहा ताकि दूर से बाबा और राजीव गांधी पर नजर बनी रहे। बाबा को जब यह बात पता चली तो उन्होंने साफ मना कर दिया और कहा कि यह पेड़ तो हमारा मित्र है, हम इससे रोजाना बतियाते हैं, किंतु सुरक्षा अधिकारी सुरक्षा की बात कह कर बाबा से बार-बार पेड़ की डाली कटवाने की मिन्नत करने लगे जो बाबा को अच्छा नहीं लगा। बाबा ने उनसे कह दिया कि अच्छा तो मैं तुम्हारे प्रधानमंत्री का कार्यक्रम ही निरस्त किए देता हूं। इसके कुछ देर बाद ही दिल्ली से रेडियो ग्राम आ गया कि प्रधानमंत्री का कार्यक्रम फिलहाल टाल दिया गया है।
 इसके कुछ दिन बाद राजीव गांधी पूज्य देवराहा बाबा का आशीर्वाद लेने आये किंतु पेड़ की डाली नहीं काटी गई। कहने का मतलब है कि इन वृक्षों की हत्या के घोर पाप से बचने के लिए हमें अनावश्यक रूप से कागजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। भले ही ब्याह शादी या अन्य किसी आयोजन के निमंत्रण पत्र हों मिठाई या अन्य सामान में डिब्बों अथवा तमाम तरह की वस्तुओं की अनावश्यक पैकिंग ही क्यों न हो। कागज के अलावा गत्तों का भी अधिक प्रयोग बहुत गलत है क्योंकि गाय भैंस आदि पशुओं के खाने वाला भूसा इस कार्य में इस्तेमाल किया जाता है। फलस्वरुप भुस की कीमत आसमान छू रही है और पशुओं को अच्छी क्वालिटी का भूसा नसीब नहीं होता।
 अब इस बारे में ज्यादा कुछ कहने की आवश्यकता नहीं समझदार को तो इशारा ही बहुत होता है। मैंने तो अपनी मोटी बुद्धि के हिसाब से बहुत कुछ लिख दिया है। बाकी जिसकी जैसी मर्जी हो करे। करोगे तो आपको माई को न बाप को। जैसा करोगे वैसा भरोगे अर्थात जैसा बोओगे वैसा काटोगे। करनी करे तो क्यों करे करके क्यों पछताय बोऐ पेड़ बबूल के तो आम कहां से खाय। अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गईं खेत। यानी अंत में सिवाय हाथ मलाने के अलावा और कोई चारा बाकी नहीं रहेगा बाकी रहेगा तो सिर्फ मलाल।

प्रकृति के किसी भी कार्य की निंदा ईश्वर की निंदा के समान – देवराहा बाबा

मथुरा। ब्रह्म ऋषि पूज्य देवराहा बाबा कहा करते थे कि प्रकृति के किसी भी कार्य की निंदा करना ईश्वर की निंदा के समान है। बाबा कहते थे कि चाहे भीषण गर्मी पड़े अथवा कड़ाके की ठंड या फिर मूसलाधार वर्षा ही क्यों न हो हमें इनकी आलोचना नहीं करनी चाहिए।
     बाबा द्वारा कही गई बातों को संत शैलजाकांत द्वारा पिछले काफी दिनों पूर्व उस समय दोहराया जब मेरी उनसे फोन पर वार्ता हो रही थी। मैंने उनसे कहा कि मिश्रा जी ठंड बहुत कड़ाके की पड़ रही है पता नहीं कब इससे पिंड छूटेगा? मतलब मैंने ठंड की आलोचना सी की थी। शैलजाकांत जी कहते हैं कि सर्दी, गर्मी, वर्षा ही नहीं आंधी, तूफान, भूकंप आदि जो कुछ भी प्रकृति के कार्य हैं, वे सभी ईश्वर द्वारा संचालित हैं। उनका कथन है कि ईश्वर ने प्रकृति के हर कार्य को अपने नियंत्रण में रखा है।
     वे कहते हैं कि प्रकृति सभी के साथ न्याय करती है। संत जी का कहना है कि जैसे मूसलाधार वर्षा होती है, उससे नदियों में बाढ़ आ जाती है। सब तरफ पानी ही पानी दिखाई देता है। उससे भी बहुत लाभ होता है क्योंकि ताल तलैया भर जाते हैं और धरती के नीचे भी जीवन है, उन जीवों के लिए भी पानी की जरूरत होती है। वे भी ईश्वर की कृपा पर निर्भर हैं।
     शैलजाकांत जी कहते हैं कि ये सभी बातें बाबा मुझे बताया करते थे। उनका कथन था कि यदि प्रकृति के किसी भी कार्य से किसी को नफा नुकसान जो भी हो उसे उसको ईश्वरीय प्रसाद के रूप में स्वीकार करना चाहिए क्योंकि चाहे फायदा हो या नुकसान सब कुछ अपने कर्मों के अनुसार निर्धारित होता है। हमें ईश्वर द्वारा दिए गए किसी भी भोग की आलोचना करके अपने पाप की गठरी को बढ़ाना नहीं चाहिए।
     पूज्य देवराहा बाबा द्वारा कही गई गूढ़ रहस्य की ये दुर्लभ बातें बड़ी अनमोल हैं। इनका महत्व हम मोटी और क्षुद्र बुद्धि वाले स्वार्थी लोग अगर समझ लें तो मानो जीवन सफल हो गया। इसके अलावा एक और बहुत दुर्लभ बात शैलजाकांत जी ने मुझे बहुत समय पहले बताई थी। जिसे मैं पहले भी लिख चुका हूं अब पुनः बताता हूं।
     बात कई वर्ष पूर्व की है उनसे मेरी फोन पर बात चल रही थी। वह बता रहे थे की किस्सा उस समय का है जब महान संत गया प्रसाद जी जीवित थे। देवराहा बाबा महाराज के देह त्याग के पश्चात शैलजाकांत जी कभी-कभी संत गया प्रसाद जी के पास जाया करते थे। एक बार वे लंबे समय तक नहीं जा पाए जब वे अरसे के बाद गया प्रसाद जी के पास पहुंचे तो गया प्रसाद जी ने पूछा कि बहुत दिन बाद आए हो क्या बात है? इस पर शैलजाकांत जी ने कहा कि महाराज जी मेरी तबीयत ज्यादा खराब हो गई इसलिए नहीं आ पाया।
     इसके बाद शैलजाकांत जी ने गया प्रसाद जी से कहा कि महाराज जी अच्छा हुआ जो मेरी तबीयत खराब हो गई। हो सकता है मुझे कोई पाप हो गया होगा, जो कट गया। इतना सुनते ही गया प्रसाद जी बड़े जोर से हंसे और ताली बजाने लगे। जोर से हंसने और तड़ातड़ ताली बजाने के बाद बाबा बोले कि हां बिल्कुल ठीक कहा तुमने, पर लोग समझते कहां हैं इस बात को। कितनी गूढ़ और दुर्लभ बात थी जो इन दो संतों के मध्य हुए वार्तालाप से उपजी।
     इन बातों के इस रहस्य को हम मूर्ख लोग अगर गहराई से समझ लें तब तो फिर बात ही क्या है। औरों की क्या कहूं मैं खुद इस कसौटी पर फैलियर महसूस करता हूं। भगवान करे मुझे सद्बुद्धि मिले। एक बात और जो मुझे बताने की इच्छा बलवती हो रही है, क्योंकि यह बात शायद आज तक किसी ने नहीं सुनी होगी। संत शैलजाकांत जी के मुंह से मैंने कई बार सुना है कि घर में कोई व्याधि आ जाए तो उसकी चर्चा ज्यादा नहीं करनी चाहिए। इससे व्याधि देवता प्रसन्न होकर वहीं जमे रहते हैं। वे कहते हैं कि इस घर में तो मेरी खूब आवभगत हो रही है। अतः वे लंबे समय तक जमे रहते हैं। इस बात को ऐसे समझो जैसे अचानक कोई आपदा आ गई अर्थात बीमारी लग गई या दुर्घटना हो गई तो हर समय हर किसी से उस बात का रोना मत रोओ कि हाय हाय से हाय यह हो गया वह हो गया। बस पूरे दिन वही एक ही राग अलापना। यह सब व्याधि देवता को प्रसन्न कर व्याधि को अपने घर में बनाए रखने के लक्षण हैं। संत जी कहते हैं कि यह सब रहस्यमयी बातें बाबा मुझसे कहा करते थे। उनका कथन है कि जो कुछ घटित हो रहा है उसे सहन करते हुए बुरे समय को निकालो फिर तो व्याधि देवता स्वयं ही चुपके से खिसक लेंगे।
     हम लोगों का यह बड़ा सौभाग्य है कि ब्रजभूमि में एक से बढ़कर एक दुर्लभ संतों का समागम हुआ है। उनकी विलक्षण बातों के सार रूपी अमृत को यदि हम अपने जीवन में घोल लें तो जीवन की बगिया महक उठेगी। अर्थात 84 लाख योनियों के बाद मिला यह इंसानी जीवन सार्थक हो जाएगा। इससे भी बड़ा फायदा यह होगा कि देखा देखी हमारी अगली पीढ़ियां भी जिनकी खुशहाली के लिए हम लोग प्रयासरत रहते हैं, का भी लोक और परलोक आनंदमयी होगा।

संस्कृति विवि के मंच पर बिखरा पलक मुच्छल का जादू

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय स्पार्क 2025 के दूसरे दिन मुख्य मैदान में सजे मंच पर प्रसिद्ध गायिका पलक मुच्छल के गीतों की धूम रही। इस दौरान जहां एक ओर विद्यार्थियों का जबरदस्त शोर रहा वहीं दूसरी ओर तालियों ने पूरे माहौल को गरमा दिया।
स्पार्क 2025 के मुख्य आकर्षण के रूप में दूसरे दिन प्रसिद्ध गायिका पलक मुच्छल की गीतों भरी शाम शुरू हुई। तेज संगीत और विद्यार्थियों के बीच अनेक अनेक गीतों को एक लड़ी में प्रयोग कर पलक मुच्छल ने अपनी शाम की शुरुआत की। जब वे मंच पर आई तो विद्यार्थियों का शोर अपने चरम पर पहुंच गया। जैसे ही जिया जाए, जिया जाए ना मोरे पिया रे गाते हुए मंच पर आई तो संस्कृति के छात्र छात्राओं ने तालियां के साथ उनका जोरदार स्वागत किया। उन्होंने शुरुआत की एमएस धोनी फिल्म के प्रसिद्ध गीत, जब-जब सांसे भर्ती हूं ..कौन तुझे प्यार करेगा जैसे मैं करती हूं, से की। इसके बाद उन्होंने अपने प्रसिद्ध गीत आशिकी 2, हम तेरे बिन रह नहीं सकते, तेरे बिन अब जीना क्या, क्योंकि तुम ही हो, तुम ही हो तुम ही हो..। पलक के गीतों का यह क्रम जारी था और उनके गीतों पर युवा छात्र-छात्राएं झूम रहे थे। इसके बाद उन्होंने प्रसिद्ध गीत मेरे रश्के कमर तूने पहली नजर, जो नजर से मिलाई मजा आ गया। एक तो यह गीत ही बहुत लोकप्रिय है दूसरा पलक ने जिस अंदाज से इसको गया उसने सारे श्रोताओं के दिल और दिमाग पर जादू सा बिखैर दिया। सभी सुनने वाले गीतों की धुन पर ठुमकने लगे। इसके बाद उन्होंने प्रसिद्ध गीत सनम तेरी कसम गया और फरमाइशी गीतों को गाकर पलक लगातार विद्यार्थियों का दिल बहलाती रहीं। इनमें तेरी दीवानी, तेरे नाम से जी लूं तेरे नाम से मर जाऊं, गब्बर इस बैक का प्रसिद्ध गीत, सनम तू मेरा, तेरी मेरी कहानी, अभी चलता हूं दुआओं में याद रखना, सुनाया। ढेर सारी फरमाइशों को देखते हुए उन्होंने अपने गाए सभी गीतों को एक लड़ी में पिरोकर सुनना शुरू कर दिया, मैं तेनू समझावां की, तू है तो फिर क्या चाहिए, दिल एक दरिया, केसरिया तेरा इश्क है पिया सुनाया।
पलक ने अपने गीतों के बीच अपने भाई पलाश पलाश मुच्छल को भी इंट्रोड्यूस किया। उन्होंने काफी गीत सुनाए और कुछ देर के लिए पलक को विश्राम भी दिया। पलाश मुच्छल के बाद फिर से पलक आई और उन्होंने अपनी शुरुआत के गीतों जिसमें प्रेम रतन धन पायो, जैसे गीत सुन कर युवा विद्यार्थियों का खूब मनोरंजन किया।
इस गीतों भरी शाम का शुभारंभ संस्कृत विश्वविद्यालय की परंपराओं के अनुसार मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन से हुआ। दीप प्रज्वलन संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ सचिन गुप्ता ने कुलपति प्रोफेसर बीएम चेट्टी, सीईओ श्रीमती मीनाक्षी शर्मा और अन्य अतिथियों के साथ किया। संस्कृति विवि के प्रो चांसलर राजेश गुप्ता ने शानदार आयोजन के लिए सभी को शुभकामनाएं दीं।इस मौके पर दिव्यांग बच्चों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम भी बहुत सराहा गया। विद्यार्थियों ने गीतों भरी शाम को देर रात तक खूब एंजॉय किया पलक मुच्छल के बाद प्रसिद्ध डीजे ने जब मंच पर गीतों की संख्या शुरू की तो समय कब गुजर गया पता ही नहीं चला श्याम लगभग 7:30 बजे से शुरू हुआ यह कार्यक्रम देर रात 12:00 के बाद तक चला।

बेसहारा बच्चों की बड़ी मदद करती हैं पलक
अपनी दिल को छूने वाली आवाज के साथ बॉलीवुड, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक जैसे प्लेटफार्म पर राज करने वाली पलक सात वर्ष की उम्र से गा रही हैं। उन्होंने बताया कि वे अपनी कमाई का 99 प्रतिशत से अधिक हृदय रोगी बच्चों के ऑपरेशन के लिए खर्च कर देती हैं। अब तक तीन हजार चार सो अट्ठासी बच्चों के हार्ट का ऑपरेशन कराकर उनको स्वस्थ जीवन दे चुकी हैं, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिल चुकी है। इसके लिए उन्होंने विशेष रूप से बॉलीवुड स्टार सलमान खान के सहयोग की प्रशंसा की।

मन से खेलें और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से जीतें सभी का दिलः अमित पचहराआईपीएल स्टार ने किया के.डी. डेंटल कॉलेज में स्पर्धा-2025 का शुभारम्भ

मथुरा। पढ़ाई से समय निकाल कर आप खेल में सहभागिता करने जा रहे हैं, यह अच्छी बात है। खेलों में सहभागिका का जो अवसर मिला है, उसमें मन से खेलें तथा सद्भाव के वातावरण में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए अपने टीम साथियों का दिल जीतें। यह सारगर्भित उद्गार के.डी. डेंटल कॉलेज की स्पर्धा-2025 के शुभारम्भ अवसर पर मुख्य अतिथि भारतीय अण्डर 19 टीम के पूर्व बल्लेबाज अमित पचहरा ने छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। स्पर्धा-2025 का शुभारम्भ आईपीएल स्टार अमित पचहरा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण अग्रवाल, डीन और प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी ने राष्ट्रगान के बाद गुब्बारे उड़ाकर किया।
डॉ. लाहौरी ने मुख्य अतिथि अमित पचहरा तथा कार्यकारी अधिकारी अरुण अग्रवाल का स्वागत किया। वीरेंद्र सहवाग और सुरेश रैना की बल्लेबाजी शैली के मुरीद अमित पचहरा ने आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि खेलों से ही हम फिजिकल फिट रह सकते हैं। जो छात्र-छात्राएं नियमित रूप से किसी न किसी खेल में हिस्सा लेते हैं वे अन्य छात्र-छात्राओं की अपेक्षा अधिक स्वस्थ और तरोताजा रहते हैं। उन्होंने कहा कि शरीर के विकास के लिए सिर्फ पोषक पदार्थों से युक्त भोजन ही नहीं बल्कि अच्छी सेहत और बेहतर मानसिक विकास के लिए खेलना भी जरूरी है। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने अपने संदेश में छात्र-छात्राओं से आपसी मेलजोल के साथ खेलों में शिरकत करने का आह्वान किया। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि शिक्षा और खेल एक-दूसरे के पूरक हैं। नियमित खेलने से इंसान तन-मन से स्वस्थ रहता है।
अपने सम्बोधन में प्राचार्य डॉ. लाहौरी ने कहा कि आज हर व्यक्ति स्वस्थ रहना चाहता है, समाज में खेल संस्कृति के प्रति चेतना आई है। लोग खेलों के महत्व को स्वीकारने लगे हैं। खेलकूद न केवल छात्र-छात्राओं का मनोरंजन करते हैं अपितु उनके स्वास्थ्य को भी उत्तम बनाते हैं। डॉ. लाहौरी ने कहा कि स्वस्थ रहने का अर्थ रोगरहित तन का होना ही नहीं बल्कि तनावमुक्त मन का होना भी है। शरीर और मन दोनों की स्वस्थता जीवन में सफलता के साथ आनंदमय जीवन जीने का सूत्र है। अंत में उन्होंने छात्र-छात्राओं से खेलभावना के साथ विभिन्न प्रतियोगिताओं में शिरकत करने का आह्वान किया।
स्पोर्ट्स आफीसर डॉ. सोनू शर्मा ने स्पर्धा-2025 की जानकारी देते हुए कहा कि छात्र-छात्राओं को छह ग्रुपों में बांटा गया है। छात्र वर्ग की कप्तानी हर्षित चौहान तथा छात्रा वर्ग की कप्तानी जितिन लाहौरी को सौंपी गई है। प्रतियोगिता के व्यवस्थित संचालन की जवाबदेही स्पोर्ट्स आफीसर लोकेश शर्मा, लक्ष्मीकांत चौधरी, राहुल सोलंकी आदि सम्हाल रहे हैं। एक पखवाड़े तक चलने वाली स्पर्धा-2025 में क्रिकेट, शतरंज, बास्केटबाल, वॉलीबाल, फुटबाल, कबड्डी, रस्साकशी, बैडमिंटन, कैरम, पंजा-कुश्ती, थ्रोबाल, एथलेटिक्स आदि स्पर्धाएं होंगी।
स्पर्धा का आगाज रस्साकशी प्रतियोगिता से हुआ। छात्र वर्ग की रस्साकशी प्रतियोगिता इंटर्न ने पीजी को हराकर जीती जबकि छात्रा वर्ग के फाइनल में पीजी की छात्राओं ने बीडीएस प्रथम वर्ष टीम को शिकस्त दी। शानदार मार्चपास्ट में बीडीएस दूसरा वर्ष विजेता तथा बीडीएस प्रथम वर्ष उप-विजेता रहा। स्पर्धा-2025 के शुभारम्भ अवसर पर डॉ. अजय नागपाल, डॉ. शैलेन्द्र चौहान, डॉ. नवप्रीत कौर, डॉ. सुषमा, डॉ. अनुज, प्रशासनिक अधिकारी नीरज छापड़िया तथा बड़ी संख्या में खिलाड़ी छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन अदिति शर्मा और अदिति अग्रवाल ने किया।
चित्र कैप्शनः के.डी. डेंटल कॉलेज में गुब्बारे उड़ाकर स्पर्धा-2025 का शुभारम्भ करते हुए आईपीएल स्टार अमित पचहरा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण अग्रवाल, डीन और प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी आदि। दूसरे चित्र में मैदान में उपस्थित खिलाड़ी।