Wednesday, April 30, 2025
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श्री राधा वैली में होली मिलन समारोह:गीत-संगीत और गुलाल के साथ लोगों ने मनाया रंगों का त्योहार

मथुरा।श्री राधा वैली सेक्टर 5 होलिका चौक पर होली मिलन समारोह का आयोजन किया। बड़ी संख्या में लोगों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। ठा.आर के सिंह यदुवंशी ( राजा भैया ) कार्यक्रम के मुख्य आयोजक थे। समारोह में सभी बड़े बुजुर्गों को रंग गुलाल, दुपट्टा और पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की व्यवस्था डॉलर ब्रदर्स ग्रुप ठा.आर के सिंह यदुवंशी ( राजा भैया ) ने संभाली। उनके साथ संस्कृति विवि के जनसंपर्क अधिकारी किशन चतुर्वेदी, पंडित गोपाल वल्लभ आचार्य, किशन चौधरी, चौधरी जेपी सिंह,विष्णु पहलवान,सोनाली सिंह,सुष्मिता सिंह,जेके शर्मा,प्रोफेसर शैलेन्द्र सिंह, डॉ राजेश बसेड़ी,सुदेबार सतीश फौजदार,विशाल गौतम,रोहित शर्मा आदि अनेक लोगों ने भी योगदान दिया। होली मिलन समारोह में सभी के लिए ठंडाई और नाश्ते की विशेष व्यवस्था की गई। खेल कूद कर बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों ने संगीत और नृत्य के साथ रंगों का आनंद लिया। डॉलर ब्रदर्स ग्रुप परिवार के सदस्यों और स्थानीय निवासियों के सहयोग से कार्यक्रम सफल रहा।
समारोह में मुख्य रूप से ठा.रामधन सिंह,पंडित आनंद वल्लभ,एडवोकेट आशुतोष पाठक,ठा.अशोक सिंह,कल्लू खण्डेलवाल,जैन साहब,पीताम्बर सिंह, एम पी उपाध्याय,प्रेम गोयल,विकास दुबे,लव ठाकुर,नितिन ठाकुर,रामेश्वर पहलवान,कल्लू पहलवान,जनार्दन पहलवान,योगेश ठाकुर,डॉ रामवीर सिंह,डॉ काजल ठाकुर,केशव चौधरी,प्रीतम सिंह,आदि अनेक हजारों की संख्या में लोग शामिल रहे।

वृंदावन पब्लिक स्कूल की छात्रा ने एसएससी सीजीएल 2024 के परीक्षा परिणाम में हासिल की शानदार सफलता, जिले को किया गौरवान्वित

वृंदावन। किसी भी विशाल जीत के लिए कड़ी मेहनत और सही मार्गदर्शन बहुत मायने रखता है। जिससे कोई भी व्यक्ति अपने मुकाम को हासिल कर लेता है। इसी भाव को साकार रूप प्रदान करते हुए वीपीएस की पूर्व छात्रा रहीं राशि पाठक ने कर्मचारी चयन आयोग की एसएससी सीजीएल 2024 के विगत दिनों आये अंतिम परिणामों में अपनी सफलता दर्ज की है। समस्त विद्यालय परिवार ने वी.पी.एस. की छात्रा को अपने पहले प्रयास में एसएससी सीजीएल 2024 अंतिम परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने और अंतिम मेरिट सूची में प्रतिष्ठित स्थान हासिल करने के लिए हार्दिक बधाई दी। वे भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन सीजीडीए में लेखा परीक्षक के पद पर काम करेंगी। रक्षा लेखा विभाग अंतर्गत भारतीय सशस्त्र बलों की लेखा परीक्षा और लेखांकन पर ध्यान केंद्रित करेंगी।
विद्यालय के निदेशक डॉ. ओमजी ने छात्रा की शानदार सफलता के लिए शुभकामनाएं दी है। साथ ही उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए कामना की। छात्रा ने अपनी इस सफलता के लिए अपने परिवार के साथ विद्यालय प्रबंधन व समस्त विद्यालय परिवार को श्रेय देते हुए कहा कि मेरी प्रारंभिक शिक्षा वृंदावन पब्लिक स्कूल से ही हुई है और गुरुओं ने मेरा जो मार्गदर्शन किया आज उसी के फलस्वरूप मैंने यह सफलता प्राप्त की है।

संस्कृति विवि में आयोजित कार्यशाला को संबोधित करतीं डा. गरिमा गोस्वामी।

संस्कृति विवि में पेटेंट प्रारूपण और ई-फाइलिंग पर हुई उपयोगी कार्यशाला

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय, संस्थान की नवाचार परिषद (मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पहल), आईईईई, संस्कृति बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर द्वारा “भारत में पेटेंट प्रारूपण और ई-फाइलिंग” पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को भारत में पेटेंट प्रारूपण और ई-फाइलिंग प्रक्रिया की व्यापक समझ प्रदान करना था। कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों को बौद्धिक संपदा अधिकारों के कानूनी, तकनीकी और प्रक्रियात्मक पहलुओं को समझने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से लैस करना था।
कार्यशाला में पेटेंट निर्माण, पेटेंट खोज और विश्लेषण, समयसीमा, कॉपीराइट और डिज़ाइन अवलोकन के लिए रोडमैप जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विशेषज्ञों ने अपना ज्ञान साझा किया। इंटरेक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र और लाइव उदाहरणों द्वारा प्रतिभागियों को विषय संबंधी व्यावहारिक अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में मदद की गई। कार्यक्रम में लगभग 100 छात्र और लगभग 10 संकाय सदस्यों ने सक्रिय रूप से चर्चा की और वे सभी गतिविधियों में उत्साह के साथ शामिल हुए। सीखने की उनकी जिज्ञासा और उत्सुकता ने सत्रों को और भी अधिक गतिशील और प्रभावशाली बना दिया। इस दौरान विद्यार्थियों, प्रतिभागियों को विशेषज्ञों के बीच अनौपचारिक नेटवर्किंग और ज्ञान के आदान-प्रदान का एक शानदार अवसर मिला।
इस दो दिवसीय कार्यशाला में संस्कृति विवि के कुलपति प्रो. (डॉ.) एम. बी. चेट्टी, संस्कृति स्कूल आफ इंजीनियरिंग एंड इन्फोर्मेशन की डीन डॉ. एस. वैराचिलाई, डा. पंकज गोस्वामी, डा.गरिमा गोस्वामी, कार्यक्रम समन्वयक डा. शांतम बब्बर, दानिश मेराज व डा. मनीष अग्रवाल ने विशेष वक्ता के रूप में विषय के संबंध में अपना संबोधन दिया। वक्ताओं ने पेटेंट प्रारूपण, पेटेंट दाखिल करने की प्रक्रिया और बौद्धिक संपदा प्रबंधन, पेटेंट की खोज और विश्लेषण के व्यावहारिक ज्ञान, महत्वपूर्ण समयसीमा, कॉपीराइट और डिजाइन पहलुओं के बारे में विस्तार से जानकारी देकर नवाचारों की रक्षा और व्यावसायीकरण करने के कौशल के साथ प्रतिभागियों को सशक्त बनाया। कार्यक्रम के आयोजन में विशेष रूप से भारतीय पेटेंट कार्यालय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के पेटेंट और डिजाइन परीक्षक मनीष सोयल का सहयोग रहा। उन्होंने भारत में पेटेंट प्रारूपण, फाइलिंग प्रक्रियाओं और बौद्धिक संपदा प्रबंधन के बारे में अमूल्य जानकारी साझा की।
कार्यक्रम का समापन एक फीडबैक सत्र के साथ हुआ, जहाँ प्रतिभागियों ने अच्छी तरह से संरचित और सूचनात्मक सत्रों के लिए प्रशंसा की। आयोजन टीम ने संसाधन व्यक्ति, वक्ताओं और सभी उपस्थित लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया।

V. P. S की शिवानी को मिला शारदा शक्ति सम्मान

वृंदावन। शारदा विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में शारदा शक्ति सम्मान 2025 कार्यक्रम आयोजित किया। उद्घाटन मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान, विशिष्ट अतिथि डॉ. बीना लवानिया, नम्रता पानीकर और शारदा यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) जयंती रंजन ने किया जिसमें वृंदावन पब्लिक स्कूल की शिक्षिका शिवानी वर्मा को खेल क्षेत्र में अनुकरणीय व उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए मुख्य अतिथि द्वारा शारदा शक्ति सम्मान से नवाजा गया जिसने विद्यालय व नारी शक्ति की गरिमा को बढ़ाया। विद्यालय प्रबंधक डाॅ ओम जी ने कहा कि महिलाएं जब किसी लक्ष्य को पाने की ठान लेती है, तो उन्हें रोक पाना असंभव है। यह सम्मान उन सभी सशक्त महिलाओं को समर्पित है जिन्होंने अपने क्षेत्र में न केवल सफलता हासिल की बल्कि दूसरों को भी प्रेरित किया है।

रंगोतसव 2025 : रंगों और रचनात्मकता का एक जीवंत उत्सव

वृंदावन। सारंग हाई इम्पैक्ट स्कूल में सुबह से ही होली की धूम रही स्कूल को रंगों के बहुरूपदर्शक में बदल दिया गया क्योंकि इसमें विभिन्न स्कूलों के लगभग 125 छात्रों की भारी भागीदारी देखी गई। इस कार्यक्रम में निर्देशक खुशबू सोधी, मार्तंड उपाध्याय और नीरज शर्मा जैसे कुछ मेहमानों के साथ कई सम्मानित माता-पिता उपस्थित थे। सभी लोग रंगों के त्योहार रंगोत्सव को बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाने के लिए एक साथ आए। यह कार्यक्रम खुशी, हंसी और कलात्मक प्रतिभा के जीवंत प्रदर्शन से भरा हुआ एक शानदार सफलता थी।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण निस्संदेह छात्रों की रचनात्मकता और उत्साह को प्रदर्शित करने के लिए तैयार की गई प्रतियोगिताओं की श्रृंखला थी। विभिन्न श्रेणियों में प्रतिभागियों द्वारा अपने कौशल का प्रदर्शन करने की तैयारी के साथ माहौल उत्साह से भरा हुआ था। रणोत्सव में युवा मस्तिष्कों के बीच कलात्मक और सौंदर्य विकास को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन की गई गतिविधियों की एक विविध श्रृंखला शामिल थी।
रंगोली प्रतियोगिता में विद्यालय के गलियारों को रंगीन पाउडर, फूलों और अन्य सामग्रियों का उपयोग करके बनाई गई शानदार रंगोलियों से सजाया गया था। छात्रों ने व्यक्तिगत रूप से काम किया, अपने सहयोगी कौशल और कलात्मक स्वभाव का प्रदर्शन किया। जटिल प्रतिरूप और जीवंत रंग आँखों के लिए एक दावत थे।

ड्राइंग और कलरिंग प्रतियोगिता ने छात्रों को दृश्य कला के माध्यम से उत्सव की भावना के बारे में अपनी समझ व्यक्त करने का अवसर दिया। चित्रों, कार्डों और चित्रों को रचनात्मकता, संदेश और समग्र सौंदर्य अपील के आधार पर आंका गया। कई पत्तों और चित्रों ने एकता और आनंद के संदेशों को बढ़ावा दिया।
सांस्कृतिक प्रदर्शन में छात्रों ने नृत्य और गायन में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। नृत्य और गीत होली के त्योहार और रंगों की खुशी के इर्द-गिर्द थे।
प्रतियोगिताओं का निर्णय निदेशकों और समन्वयकों द्वारा किया गया था। न्यायाधीशों ने छात्रों की असाधारण प्रतिभा और उत्साह के लिए उनकी सराहना की। उनकी असाधारण प्रतिभा के सम्मान में, तीन आयु समूहों में प्रत्येक श्रेणी में तीन विजेताओं को सम्मानित किया गयाः 3 से 6 वर्ष, 7 से 10 वर्ष और 11 से 14 वर्ष। कार्यक्रम का समापन पुरस्कार वितरण समारोह के साथ हुआ, जो आयोजन के समग्र और संतोषजनक अनुभव को जोड़ता है। विजेताओं के लिए पुरस्कारों को उनकी संबंधित प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए सावधानी पूर्वक चुना गया था।
प्रतियोगिताओं के अलावा रंगोत्सव एकता और सौहार्द का उत्सव था। एक उत्सव और आनंदमय वातावरण बनाते हुए रंगीन पाउडर (गुलाल) भी वितरित किया गया। पूरा परिसर हँसी और उत्सव संगीत की आवाज़ों से गुंजायमान हो रहा था।
सारंग हाई इम्पैक्ट स्कूल में रंगोत्सव एक शानदार सफलता थी, जिसने सामुदायिक भावना को बढ़ावा दिया और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाया। इस आयोजन ने छात्रों को एकता, आनंद और उत्सव के मूल्यों को बढ़ावा देने के साथ-साथ अपनी रचनात्मकता और प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए एक मंच प्रदान किया। जीवंत रंगों, उत्साहपूर्ण भागीदारी और उत्सव के माहौल ने रंगोत्सव में शामिल सभी लोगों के लिए एक यादगार अनुभव बना दिया। इस तरह के अद्भुत और आकर्षक कार्यक्रम के आयोजन के लिए स्कूल प्रबंधन और संकाय की प्रशंसा की गई। इस आयोजन ने आने वाले समय में और भी शानदार संस्करण का वादा करते हुए सभी उपस्थित लोगों पर एक अमिट छाप छोड़ी।

नैतिकता के अभाव में मनुष्यता का आकलन असम्भववंचितों की शिक्षा को समर्पित रेणुका गोस्वामी सम्मानितके.डी. डेंटल कॉलेज की छात्राओं को दी ‘सूत्र’, ‘स्तोत्र’ और ‘शास्त्र’ की सीख


मथुरा। नैतिक मूल्य मानव को परिपूर्णता प्रदान कर उसे ईश्वरीय रचनाओं में श्रेष्ठ बनाते हैं परंतु आधुनिकता के नाम पर इन मूल्यों का निरंतर अवमूल्यन होता जा रहा है। बढ़ते भौतिकतावाद में नैतिकता घुट-घुटकर सांसें ले रही है। यह स्थिति तब है जब नैतिकता को मानव समाज के अभिन्न अंग के रूप में मान्यता मिली है। नैतिकता के अभाव में मनुष्यता का आकलन सम्भव ही नहीं असम्भव है। यह सारगर्भित बातें वंचित बच्चों की शिक्षा तथा ‘सूत्र’, ‘स्तोत्र’ और ‘शास्त्र’ को समर्पित रेणुका गोस्वामी ने के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल की छात्राओं को बताईं।
हर घर में शास्त्र लाने को प्रतिबद्ध रेणुका गोस्वामी को डीन और प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी ने बांके बिहारीजी की प्रतिकृति भेंटकर सम्मानित किया। इस अवसर पर छात्राओं ने उन्हें पुष्प देकर आशीष लिया। डॉ. लाहौरी ने रेणुका गोस्वामी के कृतित्व और व्यक्तित्व की मुक्तकंठ से प्रशंसा की तथा कहा कि के.डी. डेंटल कॉलेज में नारी सशक्तीकरण के निरंतर प्रयासों का उद्देश्य शिक्षा-चिकित्सा में समान भागीदारी को प्रोत्साहन देना है। डॉ. लाहौरी ने कहा कि नैतिकता व्यक्ति के विकास में एक सीढ़ी के समान है, जिसके सहारे हम अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं। नैतिक मूल्यों के अभाव में मनुष्य मानव जीवन को निर्थक बना देता है।
रेणुका गोस्वामी की जहां तक बात है, यह वृंदावन के प्रसिद्ध आध्यात्मिक वक्ता आचार्य पुंडरीक गोस्वामी महाराज की धर्मपत्नी हैं। इन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में ऑनर्स किया है। यह रोलर हॉकी में राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी रह चुकी हैं तथा दो मौकों पर इन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से बिजनेस मैनेजमेंट (मार्केटिंग) में मास्टर्स डिग्री हासिल करने के बाद 2020 में इन्होंने आचार्य पुंडरीक महाराज के मार्गदर्शन में निमाई पाठशाला की स्थापना की, जो ‘सूत्र’, ‘स्तोत्र’ और ‘शास्त्र’ के तीन सिद्धांतों पर केंद्रित एक ऑनलाइन स्कूल है। इस ऑनलाइन स्कूल से साप्ताहिक कीर्तन, आध्यात्मिक नाटक, स्वच्छता अभियान, वंचितों के लिए शिक्षा आदि कई पहलों से समाज में आध्यात्मिकता के प्रति चेतना लाई जा रही है।
रेणुका गोस्वामी ने के.डी. डेंटल कॉलेज की छात्राओं को बताया कि उनका लक्ष्य प्रत्येक घर में शास्त्रों को लाना है ताकि लोग वास्तविक दुनिया में मजबूत, आध्यात्मिक मजबूत जड़ों के साथ रह सकें और नैतिक जीवन जी सकें। वह इंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से भी अपना संदेश और शिक्षाएं देती हैं। वह कई पॉडकास्ट में शामिल हो चुकी हैं। भारत की नेशनल रोलर हॉकी प्लेयर रह चुकी रेणुका गोस्वामी का स्पोर्ट्स से अध्यात्म तक का सफर बेहद खास रहा है।
निमाई पाठशाला द्वारा वह भारतीय संस्कृति को हर वर्ग के लोगों में समाहित करने का प्रयास कर रही हैं। भारतीय संस्कृति की अलख जगाती रेणुका गोस्वामी ने छात्राओं को बताया कि भारतीयता क्या है और क्यों जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमें जीवन बेहतर बनाना है तो सभी स्तरों पर नैतिकता का पालन करना होगा क्योंकि ये मूल्य इतने सशक्त होते हैं कि यदि उनका शुद्ध अंत:करण से अनुपालन किया जाए तो वे शांति और समृद्धि का माध्यम बनते हैं। कार्यक्रम में डॉ. नवप्रीत कौर, डॉ. सुषमा, डॉ. नेहा, डॉ. रूपाली, डॉ. ज्योति, डॉ. निहारिका, डॉ. जुही, डॉ. प्रियंका, डॉ. अनुश्री, डॉ. पूजा, डॉ. अनामिका सहित बड़ी संख्या में परास्नातक छात्राएं उपस्थित रहीं।
चित्र कैप्शनः रेणुका गोस्वामी को सम्मानित करते हुए डीन और प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी, दूसरे चित्र में छात्राओं के साथ रेणुका गोस्वामी।

कुछ लोगों ने देशभक्त जी की उठावनी में अपनी ही उठावनी कर डाली

 मथुरा। देशभक्त जी की उठावनी में कुछ लोगों ने जीते जी खुद की ही उठावनी करके अपनी आत्मा को शांति दी। सुनने में भले ही यह बात गले नहीं उतरती किंतु जो कुछ मैंने अपनी आंखों से देखा और कानों से सुना उससे तो मुझे ऐसा ही लगने लगा। दरअसल बात यह है कि उठावनी या शोक सभाओं में दिवंगत व्यक्ति की अच्छाइयों पर प्रकाश डालकर अपनी श्रद्धांजलि दी जाती है किंतु देशभक्त जी की उठवानी (शोक सभा) में कुछ लोगों ने देशभक्त जी से ज्यादा अपने गुणगान किये।
 कोई देशभक्त जी के ऊपर किए गए अपने एहसानों को बड़ा चढ़कर बखान कर अपनी पीठ ठोक रहा था तो कोई अपने गांव व कस्बे का नाम व नये नये मिले ओहदों की शेखी बघार कर इतरा रहा था। कहने का मतलब है की देशभक्त जी से ज्यादा अपने आप को महिमा मंडित करके चंद महापुरुषों ने खुद अपनी ही उठवानी कर डाली।
  उठावनी का समय तीन से चार बजे का था किंतु बोलने की अपनी भूख मिटाने वाले कुछ लोग माइक से बुरी तरह चिपक जाते। जबकि संचालक बार-बार कह रहे थे कि समय ओवर हो रहा है। लोग संक्षेप में अपनी श्रद्धांजलि दें किंतु बेशर्मी की हदें पार हो रही थी तथा चार के स्थान पर पांच बजने को आ गए। स्थिति यह हो गई कि उठावनी के समापन से पूर्व ही लोगों ने उठ उठ कर बाहर निकलना शुरू कर दिया।
     ऐसा नहीं कि सभी वक्ता लंबा समय खींच रहे थे कुछ समझदार व्यक्ति अल्प समय में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे थे। मुझे तो देशभक्त जी के प्रति सबसे अच्छी श्रद्धांजलि कुं. नरेंद्र सिंह की लगी जिन्होंने ज्यादा समय भी नहीं लिया और देशभक्त जी की यह अनूठी बात भी बताई कि वे गिर्राज जी की ज्यादातर परिक्रमा दूसरों के लिए करते थे, जिनके लिए परिक्रमा होती उन्हें लाभ भी मिलता। यह सब कहते-कहते नरेंद्र सिंह जी का गला रुंध आया।
     उल्लेखनीय है कि जब नरेंद्र सिंह जी कोरोना से पीड़ित हुए तथा उनके बचने की उम्मीद भी नहीं रही तब देशभक्त जी ने नरेंद्र सिंह जी को ढाड़स बंधाया और नरेंद्र सिंह जी के नाम की परिक्रमा देकर उन्हें प्रसादी दी। इसके बाद नरेंद्र सिंह जी की दशा में सुधार होता गया और वे कोरोना पछाड़ बन गए। कुछ इसी प्रकार का घटनाक्रम मेरे साथ भी हो चुका है। मैं भी देशभक्त जी की कृपा के लिए उनका ऋणी हूं।
     अब उठवानी का आगे का हाल बताता हूं। उठावनी के अंत में वृंदावन के एक महान व्यक्ति तो ऐसे चिपक गए कि माईक को छोड़ें ही नहीं। इस पर संचालक व अन्य व्यक्ति दोनों ने आगे पीछे खड़े होकर इशारे करके रोकने का खूब प्रयास किया तब भी वे पांच मिनट और चाट गए।
     मुझे तो उठावनी में जाकर बड़ी कोफ्त हुई ऐसा लगा कि इससे अच्छा तो यह रहता कि मैं आता ही नहीं। आजकल उठावनियों में एक और बीमारी चल गई है कि ढेरों रद्दी आ जाती है और उसे पढ़-पढ़ कर सुनाया जाता है कि फलां संस्था ने, फलां व्यक्ति ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए यह कहा वह कहा। मजेदार बात तो यह है कि मृतक के घर वाले भी इस दौड़ में शामिल हो जाते हैं तथा लोगों का समय बर्बाद होता है। पर कुछ को अपना नाम बुलवाने में बड़ी खुशी मिलती है।
     अंत में यह जरूर कहूंगा कि देशभक्त जी अपने लिए कम औरों के लिए ज्यादा जिये। उन्होंने न कोई प्रॉपर्टी बनाई न धन दौलत जोड़ी पर यश कीर्ति खूब अर्जित की। जिस समय वे अमरनाथ विद्या आश्रम के प्रधानाचार्य थे उस दौरान विद्या आश्रम की ख्याति आगरा मंडल के नंबर वन विद्यालय में गिनी जाती थी। वे अमरनाथ विद्या आश्रम के लिए तन मन धन से समर्पित रहे। एक बार जब विद्या आश्रम की शुरुआत थी, अचानक आर्थिक संकट आ गया तब उन्होंने अपनी शादी में आए शगुन तक के समान को गिरवी रखकर धन जुटाया। विद्या आश्रम को बनाने और इतनी ऊंचाइयां देने में स्व. आनंद मोहन बाजपेई जी को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता किंतु आश्रम पर आए हर संकट को पत्रकारिता की वैतरणी से पार लगाने का श्रेय भी देशभक्त जी को है। हालांकि आजकल उनकी स्थिति दूध की मक्खी जैसी थी।
     भले ही इस भौतिक संसार में उनकी स्थिति कैसी भी थी पर फिर भी बहुत अच्छी और सुख शांति वाली थी। वे बड़ी हंसी-खुशी शिवरात्रि के महापर्व पर शिवजी की पूजा अर्चना और हवन इत्यादि के बाद चलते फिरते 85 वर्ष की उम्र में गौलोक वासी हुए यह क्या कम बड़ी बात है? बहुत से लोग तो वर्षों घिसटते रहते हैं और मौत मांगने पर भी नहीं मिलती बल्कि मौत उनके पास तक आ तो जाती है पर दुत्कार कर चली जाती है। सच बात तो यह है कि जीवन की परीक्षा में वे ईश्वरीय यूनिवर्सिटी के टॉपर बनकर हमसे विदा हो गिर्राज जी के चरणों में पहुंचे। बोल गिर्राज महाराज की जय।

आरआईएस के छात्रों ने कपिल देव संग देखा चैम्पियंस ट्रॉफी फाइनल

कपिल की छात्रों को सीख- खेलो लेकिन पढ़ाई की कीमत पर नहीं
मथुरा। दुबई में नौ मार्च को खेला गया चैम्पियंस ट्रॉफी फाइनल राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्रों के लिए अविस्मरणीय लम्हा साबित हुआ। आज तक न्यूज चैनल के आमंत्रण पर दिल्ली गए राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्रों ने पूर्व दिग्गज हरफनमौला क्रिकेटर कपिल देव के साथ भारत और न्यूजीलैंड के बीच हुए खिताबी मुकाबले को न केवल देखा बल्कि न्यूज एंकर श्वेता सिंह के साथ भारतीय टीम की जीत का जश्न भी मनाया।=
चैम्पियंस ट्रॉफी का फाइनल देखना हर भारतीय का सपना था। नौ मार्च को भारत और न्यूजीलैंड के बीच दुबई में खेले गए खिताबी मुकाबले से पूर्व भारतीय टीम का हौसला बढ़ाने राजीव इंटरनेशनल स्कूल के लगभग तीस छात्र अपने शारीरिक शिक्षकों सनी सोलंकी, भूपेंद्र, लोकपाल सिंह राणा, राहुल सोलंकी के साथ आज तक के नई दिल्ली स्टूडियो पहुंचे और वहां उन्होंने 1983 में देश को एकदिवसीय विश्व कप क्रिकेट का पहला खिताब जिताने वाले पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव तथा न्यूज़ एंकर श्वेता सिंह से मुलाकात की।
अपनी इस मुलाकात में राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र अद्विक, शुभम और परीक्षित ने पूर्व कप्तान कपिल देव से कई प्रश्न पूछे, जिनके जवाब उन्होंने दिए। कपिल देव ने छात्रों को बताया कि 1983 के बाद भारतीय क्रिकेट में काफी बदलाव आया है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की अब दुनिया भर में बहुत इज्जत है। आज भारत क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में मजबूत प्रतिद्वंद्वी है।
पूर्व कप्तान कपिल देव ने छात्रों से कहा कि खेलना अच्छा है लेकिन पढ़ाई की कीमत पर नहीं। पढ़ाई अर्जित की गई वह अनमोल पूंजी है जो जीवन भर काम आती है। उन्होंने कहा कि मैंने थोड़ी-बहुत पढ़ाई की होती तो अच्छा होता। कपिल देव ने छात्रों को बताया कि जीवन में खेल 10 प्रतिशत तो शिक्षा 90 फीसदी काम आती है। उन्होंने कहा कि मेरे घर पर मेरी कोई क्रिकेट खेलते हुए फोटो नहीं हैं। दिग्गज क्रिकेटर ने कहा कि पैसा बनाना अच्छा है, पर रिश्ते और व्यवहार बनाना मिलियंस में रुपये बनाने के बराबर है।
कपिल देव ने बच्चों को पैसे के पीछे भागने की बजाय स्वस्थ रहने की सीख दी। उन्होंने कहा कि हम क्रिकेट ग्राउंड पर उतरते हैं तो कभी नहीं सोचते कि हार भी सकते हैं बल्कि हर मैच जीतने के लिए ही खेलते हैं। कपिल देव ने छात्रों का उत्साहवर्धन करते हुए उनकी शर्ट पर अपने ऑटोग्राफ दिए। अपने इस अभूतपूर्व अनुभव को साझा करते हुए छात्रों ने बताया कि टेलीविजन पर लाइव आकर दिग्गज हरफनमौला क्रिकेटर कपिल देव तथा न्यूज एंकर श्वेता सिंह से मुलाकात करना अविस्मरणीय पल है। छात्रों ने बताया कि हम लोग कपिल देव की सादगी और विचारों से बहुत प्रभावित हैं।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने छात्रों का आह्वान किया कि क्रिकेट की महान शख्सियत कपिल देव से जो सीख और सलाह मिली है, उस पर अमल जरूर करें। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि राजीव इंटरनेशनल स्कूल का उद्देश्य प्रत्येक छात्र और छात्रा का शारीरिक, मानसिक तथा बौद्धिक विकास करना है। शैक्षिक संयोजिका प्रिया मदान ने टीम इंडिया की खिताबी जीत और छात्रों की इस शैक्षिक यात्रा अवसर, दोनों को अविस्मरणीय बताया।
चित्र कैप्शनः दिग्गज क्रिकेटर कपिल देव के साथ चैम्पियंस ट्रॉफी का फाइनल देखते राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र।

केडी डेंटल कॉलेज के छात्र-छात्राओं दिखाया बौद्धिक कौशल


प्राकृतिक दांत को बचाना- कॉन्स एण्ड एंडो की भूमिका पर हुए विविध कार्यक्रम
विजेता छात्र-छात्राओं को प्रमाण-पत्र प्रदान कर किया गया प्रोत्साहित
मथुरा। भावी दंत चिकित्सकों को मौखिक रोगों के निदान और उपचार की गूढ़तम जानकारी प्रदान करने के लिए के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के कंजर्वेटिव एण्ड एंडोडोंटिक्स विभाग द्वारा आईसीडी, इंडिया-श्रीलंका-नेपाल-सेक्शन-6 मथुरा के बैनर तले “प्राकृतिक दांत को बचाना- कॉन्स एण्ड एंडो की भूमिका” विषय पर दो दिन तक विविध ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। आयोजन का शुभारम्भ डीन और प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी ने विद्या की आराध्य देवी मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया।
डीन और प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी ने बताया कि इस दो दिवसीय आयोजन का मुख्य उद्देश्य छात्र-छात्राओं को रोगी और दंत चिकित्सा समुदाय की विशेषता के प्रति जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि जो बातें छात्र-छात्राएं पुस्तकों से नहीं समझ पाते, वे बातें ऐसे आयोजनों से उनकी समझ में जल्दी और सहजता से आ जाती हैं। पहले दिन छात्र-छात्राओं के बीच भित्तिचित्र और पोस्टर मेकिंग जैसी विभिन्न प्रतियोगिताएं हुईं तो दूसरे दिन भावी दंत चिकित्सकों ने रंगोली, रील मेकिंग, फेस पेंटिंग आदि प्रतियोगिताओं में अपना कौशल दिखाया। दो दिन तक चले विभिन्न कार्यक्रमों में संकाय सदस्यों के मार्गदर्शन में कंजर्वेटिव एण्ड एंडोडोंटिक्स विभाग के लगभग सवा सौ छात्र-छात्राओं ने उत्साह और उमंग के साथ प्रतिभागिता की।
विभागाध्यक्ष कंजर्वेटिव एण्ड एंडोडोंटिक्स डॉ. अजय कुमार नागपाल के मार्गदर्शन तथा संकाय सदस्यों डॉ. सुनील कुमार, डॉ. अभिषेक शर्मा, डॉ. मुतीउर रहमान, डॉ. जूही दुबे आदि की देखरेख में विभाग के स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं ने इस अवसर को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पांच मार्च को केक काटकर संकाय सदस्यों के बीच भी क्विज और डंब चार्ड्स जैसी कुछ गतिविधियां आयोजित की गईं। इन प्रतियोगिताओं में लगभग 40 शिक्षकों ने भाग लिया।
अंत में निर्णायकों द्वारा विजेता तथा उपविजेता टीमों की घोषणा कर उन्हें पुरस्कृत किया गया। भित्तिचित्र प्रतियोगिता में बीडीएस द्वितीय वर्ष की टीम को प्रथम पुरस्कार तथा बी.डी.एस. तृतीय वर्ष की टीम को दूसरा पुरस्कार मिला। इसी तरह रील मेकिंग में बी.डी.एस. द्वितीय वर्ष की टीम को विजेता तथा बी.डी.एस. प्रथम वर्ष की टीम उपविजेता रही। पोस्टर मेकिंग में बी.डी.एस. प्रथम वर्ष को पहला तथा बी.डी.एस. चतुर्थ वर्ष की टीम को दूसरा स्थान मिला।
रंगोली में प्रथम पुरस्कार बी.डी.एस. चतुर्थ वर्ष को तथा द्वितीय पुरस्कार बी.डी.एस. द्वितीय वर्ष को मिला। कार्यक्रम के समापन अवसर पर विभागाध्यक्ष कंजर्वेटिव एण्ड एंडोडोंटिक्स डॉ. अजय कुमार नागपाल ने संकाय सदस्यों का सहयोग के लिए आभार मानते हुए कहा कि के.डी. डेंटल कॉलेज पूरे वर्ष मौखिक स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों को जारी रखेगा ताकि छात्र-छात्राएं सैद्धांतिक तथा व्यावहारिक ज्ञान में इजाफा कर सफल दंत चिकित्सक बन सकें। दो दिवसीय कार्यक्रम को संकाय सदस्यों तथा छात्र-छात्राओं ने खूब सराहा।
चित्र कैप्शनः पहले चित्र में प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी तथा संकाय सदस्यों के साथ विजेता-उपविजेता छात्र-छात्राएं। दूसरे चित्र में विभागाध्यक्ष कंजर्वेटिव एण्ड एंडोडोंटिक्स डॉ. अजय कुमार नागपाल तथा अन्य संकाय सदस्य व छात्र-छात्राएं।

गिर्राज जी के धाम जाने से पहले देशभक्त जी हंसते हंसते हो गए लोट पोट

विजय गुप्ता की कलम से

     *मथुरा। गिर्राज बाबा के प्रचंड भक्त अनंत स्वरूप वाजपेई “देशभक्त” अपने आराध्य के धाम जाने वाले दिन की पूर्व संध्या पर ऐसे हंसे ऐसे हंसे कि हंसते हंसते लोटपोट हो गये।
     देशभक्ति जी ऐसे क्यों हंसे यह बात तो बाद में बताऊंगा पर इससे पहले यह दोहा याद आ रहा है उस पर गौर करना “जब हम पैदा हुए जग हंसा हम रोये ऐसी करनीं कर चलौ हम हंसै जग रोये” सचमुच में देशभक्ति जी ने कबीर दास जी के इस दोहे को चरितार्थ करके जनमानस को बड़ा संदेश दिया।
     अब बताता हूं लोटपोट के पीछे का मामला। दरअसल जिस दिन उन्होंने देह त्यागी थी उसकी पूर्व संध्या पर उनका फोन आया कि गुप्ता जी आज मैं पहले से अधिक सुकून में हूं। सीने में दर्द की शिकायत जो कभी-कभी होती रहती थी उसमें भी राहत है।
     जब मैंने उनका अच्छा मूड़ देखा तो मुझे भी उन्हें गुदगुदी मचाकर हंसाने की इच्छा बलवती हो गई। मैंने गंभीर लहजे में कहा कि वाजपेई जी मेरी रामकिशोर जी से बात हो चुकी है। वे बार-बार कह रहे हैं कि देशभक्ति जी को के.डी. मेडिकल में भर्ती करा दो हर सुख सुविधा उन्हें मिलेगी पूरा स्टाफ उनकी तीमारदारी में मुस्तैद रहेगा।
     उन्होंने खास तौर से यह कहा है कि आपके घर के किसी भी सदस्य को रात्रि में भी साथ रहने की जरूरत नहीं क्योंकि एक एक्सपर्ट नर्स जो डॉक्टर जैसी हुनरमंद है आपके साथ रहेगी तथा कब टेंपरेचर नापना है, कब ब्लड प्रेशर चेक करना है, कब दवा देनी है, कब इंजेक्शन लगाना है और ग्लूकोज की बोतल कब चढ़नी है। वगैरा-वगैरा हर बात का पूरा ध्यान रखेगी।
     यहां तक तो देशभक्ति जी गंभीरता से चुपचाप सब कुछ सुनते रहे। इसके बाद मैंने मौके का फायदा उठाते हुए धीरे से यह भी सरका दिया कि वाजपेई जी अगर आपको यदि नींद नहीं आ रही होगी तो वह लोरी गाते हुए थपथपी लगाकर सुला भी देगी। बस इतना सुनना था की देशभक्ति जी हंसते-हंसते ऐसे लोटपोट हुऐ कि शायद मैंने अपने जीवन में उन्हें इतना हंसते हुए नहीं देखा। उनके साथ मेरी भी हंसी बड़े जोर से छूटी हम दोनों का हंसी का फव्वारा करीब एक मिनट तक चलता रहा। जब हंसी का दौर कुछ कम हुआ तब वे बोले कि गुप्ता जी आप चिकोटी काटे बिन नहीं मानते जब भी मौका मिलता है छोड़ते नहीं।
     अब रामकिशोर जी के बारे में पूरी बात बताना भी जरूरी है। मैंने देशभक्त जी के निधन से लगभग एक सप्ताह पूर्व रामकिशोर जी को उनके स्वास्थ्य के बारे में बताया। इसके बाद उन्होंने तुरंत देशभक्त जी को फोन मिलाकर के.डी. मेडिकल में अच्छे से अच्छा उपचार करने की बात कही, किंतु देशभक्त जी ने उनकी बात टाल दी।
     बाद में रामकिशोर जी ने मुझे फोन करके कहा कि देशभक्त जी से कहो कि मुझे अपना बेटा मान लें। मैं खुद उनको लेने आऊंगा यदि मेरे यहां उन्हें लाभ नहीं मिला तो दिल्ली में बड़े से बड़े और अच्छे से अच्छे अस्पताल में इलाज कराऊंगा। देशभक्त जी से कह दो दवा दारू से लेकर हर प्रकार की जिम्मेदारी मेरी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि यदि इस समय उन्हें अर्थ की जरूरत हो तो मुझे केवल आप इशारा कर दो।
     मैंने यह सब बात देशभक्ति जी को बता दी और कहा कि आपके इशारे की देर है तुरंत एक मोटा लिपाफा आपके घर पहुंच जाएगा। खुद रामकिशोर जी आपके घर आकर आपको के.डी. मेडिकल ले जाएंगे और आप पूर्ण रूप से फिट होकर अपने घर आएंगे तथा जरूरत पड़ी तो दिल्ली में बढ़िया से बढ़िया इलाज कराकर पूर्ण रूप से ठीक करा कर ही दम लेंगे।
     देशभक्ति जी ने रामकिशोर जी के प्रति कृतज्ञता में पता नहीं क्या-क्या कह डाला तथा कहा कि इनके तो मेरे ऊपर पहले से ही बहुत एहसान हैं। और कितना बोझ अपने ऊपर लूं। उन्होंने यह भी कहा कि मेरा बस चले तो अमरनाथ विद्या आश्रम में एक बड़ा आयोजन करके राम किशोर जैसे महान व्यक्ति का अभिनंदन करूं।
     अब राम किशोर पुराण को विराम देते हुए कुछ दिन पहले ही देशभक्त जी के लोटपोट होने का एक किस्सा और बताने का मन है। बात देशभक्त जी के निधन से दो-चार दिन पहले की है। प्रख्यात संगीतकार डॉ राजेंद्र कृष्ण अग्रवाल ने देशभक्त जी की प्रशंसा करते हुए एक प्रसंग सुनाया।
     उन्होंने कहा की एक कार्यक्रम में सात साल के एक बच्चे ने ऐसा गजब का पखावत बजाया कि लोग दंग रह गये। उसके पखावत बाजन पर बच्चे की मां ने नृत्य किया। दूसरे दिन सुबह-सुबह देशभक्त जी राजेंद्र कृष्ण जी के घर जा पहुंचे गाड़ी लेकर तथा कहा कि चलो मेरे साथ होटल में, जहां ये कलाकार ठहरे हुए थे। यह वाकया कई दशक पूर्व का था। होटल पहुंच कर देशभक्त जी ने उस बच्चे को दंडवत करके नमन किया और जी भरके शाबाशी दी।
     इस पूरे घटनाक्रम को सुनते ही मैंने देशभक्त जी को फोन करके कहा कि राजेंद्र जी ने मुझे यह किस्सा सुनाया है क्या यह बात सही है? इस पर उन्होंने कहा कि हां, तब मैंने फिर अपनी ऊधम बाजी शुरू कर दी और कहा कि वाजपेई जी आपने दंडवत बच्चे के लिए की या मां बेटे दोनों के लिये? इस पर वे असहज से होते हुए तपाक से बोले की मां के लिए क्यों करूंगा? मैंने तो सिर्फ बच्चे को दंडवत की थी। तब मैंने अपने अंदर छिपी ऊधम बाजी उगल दी और कहा कि बाजपेई जी कभी-कभी ऐसा होता है कि “कहीं पर निगाहें होती हैं और निशाना कहीं और” इतना सुनते ही वे बोले कि गुप्ता जी आप चिकोटी काटने का कोई मौका नहीं छोड़ते और हम दोनों खूब हंसे। मैंने कहा कि वाजपेई जी मैं चिकोटी काटने के लिए नहीं आपको गुदगुदी मचाकर हंसाने के लिए यह ऊधम बाजी कर रहा हूं।
     देशभक्त जी के गौलोकवास से पहले और बाद के पूरे घटनाक्रम की यदि समीक्षा की जाय तो रामकिशोर अग्रवाल मुझे हीरो नजर आते हैं तथा उनका बड़ा बेटा अरविंद जीरो, जिसने अपनी जिद के आगे किसी की नहीं चलने दी यहां तक कि अपनी मां की भी अरविंद ने उनकी अंत्येष्टि पवित्र दिन अमावस्या को नहीं होने दी। वाजपेई जी का निधन महाशिवरात्रि को हुआ दूसरे दिन अमावस्या थी। अंतिम संस्कार अमावस्या को सुबह होना सुनिश्चित था किंतु अरविंद ने केवल इसलिए हठधर्मिता की कि कनाडा से मेरी बहन जाकर डैडी का मुंह देख ले। अमावस्या के दूसरे दिन मध्यान में उनका अंतिम संस्कार हुआ तब तक पार्थिव शरीर का रंग रूप भी परिवर्तित हो चुका था। एक होती है हत्या और एक होती है गैर इरादतन हत्या तो इसने पिता से गैर इरादतन दुश्मनीं निकाली सिर्फ इसलिए की बहन बाप का मुंह देख ले। अब देशभक्त जी के श्राद्ध अमावस्या को न होकर अगली तिथि को हुआ करेंगे क्योंकि मृत्यु का दिन वह माना जाता है जब उनका अंतिम संस्कार हो।
     अब मुझे एक बात याद आ रही है जो हमारी माताजी मेरे उत्पात से तंग आकर बचपन में कहती थीं “पूत कपूत न देय विधाता जासै भलौ नरक कौ भाता।*